नई दिल्ली । भारत और चीन के बीच बॉर्डर को लेकर जारी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है । चीन की ओर से लगातार भारत को लेकर बयान जारी हो रहे हैं । अपने ताजा बयान में चीन की सरकारी अखबरा ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर से भारत को गीदड़भभकी देते हुए कहा कि अगर भारत यह सोचता है कि अटल टनल की मदद से भारत अपनी जवानों को सीमा पर जल्द से जल्द तैनात कर सकता है तो यह बात भी ध्यान रख ले कि अगर चीन से जंग हुई तो हमारी सेना मोदी सरकार की बहुप्रतिक्षित अटल टनल को तबाह कर देगी ।
चीन की सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक आलेख में इस मुद्दे पर लिखा है कि भारत को अटल टनल बनाने से बहुत लाभ नहीं होने वाला । यूं तो अटल टनल खुलने से भारतीय सेना को सीमा पर कम समय में तैनात किया जा सकता है और इसके साथ ही सैन्य आपूर्ति भी इस सुरंग के जरिए ले जायी जा सकती है । यह बात भी सही है कि इस सुरंग के बनने से भारत के बाकी हिस्सों से लेह पहुंचने में अब कम वक्त लगेगा । सेना की रणनीति के हिसाब से यह अहम है , लेकिन जंग के वक्त, खासकर सैन्य संघर्ष में इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है । हमारी सेना के पास सुरंग को बेकार करने के कई तरीके हैं । भारत और चीन के लिए यही बेहतर है कि दोनों एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रहें ।
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इस बीच चीन के इस सरकारी अखबार ने भारत को शांति बनाए रखने की सलाह देते हुए कहा कि भारत को किसी भी उकसावे वाली गतिविधि से बचना चाहिए । कोई भी सुरंग भारत की लड़ाकू क्षमता नहीं बढ़ा सकती । भारत और चीन की लड़ने की क्षमताओं में बहुत अंतर है । भारत अभी चीन की उन सैन्य कार्रवाईयों की क्षमता से बहुत दूर है ।
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अखबरा ने लिखा - भारत चीन के साथ सटी सीमा पर सड़कें, पुल और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है । डारबुक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) रोड 255 किमी लंबी सड़क है जिसका निर्माण पिछले साल पूरा हुआ है । इसे बनाने में भारत को दो दशक लग गए , जो लद्दाख तक जाती है। जंग के लिए तैयार इन सड़कों का भविष्य तीन व्यावहारिक पहलुओं पर निर्भर करता है । पहली बात कि भारत सरकार क्या चाहती है
आर्टिकल में और क्या क्या बात लिखी गई हैं...एक नजर...
- मोदी सरकार को देखते हुए लगता है कि वो भारत-चीन सीमा पर सैन्य मौजूदगी को मजबूत करना चाहती है ।
- भारत अपना रक्षा बजट बढ़ा रहा है और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पहले की तुलना में ज्यादा खर्च कर रहा है जिसका मकसद है चीन को रोकना है ।
- अखबार ने लिखा है कि तकनीक , इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की क्षमता के मामले में भारत चीन से बहुत पीछे है । वास्तव में, 73 सड़कों के निर्माण की बात 10 साल पहले की गई थी लेकिन अभी तक ये सड़कें नहीं बन पाई हैं।
- भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की क्षमता सीमित है । इसके अलावा, पहाड़ी इलाके में सड़क बनाना बेहद मुश्किल काम है और भारत को ऐसी परियोजनाओं पर काम करने का अनुभव कम है ।
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-फिलहाल यह समय शांति का है और भारत को ये एहसास नहीं हो पा रहा है कि जंग छिड़ने पर अटल टनल काम नहीं आएगी ।
- इस सुरंग के बनने से पूरा देश खुश है , लेकिन जहां तक भारतीय राजनेताओं की बात है, वे इसका इस्तेमाल सिर्फ दिखावे और अपने राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं ।