नई दिल्ली । कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अहम बैठक दिल्ली में शुरू हो गई है । इस बैठक में वर्किंग कमेटी के सदस्यों समेत पार्टी के कुछ अन्य दिग्गज नेताओं को भी बुलाया गया है । यह बैठक पार्टी के लिए बहुत अहम है क्योंकि इसमें जहां पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर मंथन होना है , वहीं पार्टी के भीतर जारी आंतरिक गतिरोध को लेकर भी इस बैठक में बातचीत होनी है । पार्टी के कई वरिष्ठ और बागी नजर आने वाले नेताओं को लेकर भी इस बैठक में कोई बड़ा फैसला आ सकता है । ऐसे में आज की इस बैठक पर न केवल कांग्रेसी नेताओं की नजर होगी , बल्कि अन्य दलों की निगाहें भी इस बैठक के नतीजों पर रहेगी । वर्चुअल बैठक में किसान आंदोलन को लेकर भी बात हो सकती है ।
बता दें कि पिछले दिनों नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी । इस चिट्ठी के मीडिया में लीक होने के बाद कांग्रेस में जमकर हंगामा हुआ था । हालांकि बाद में यह भी खबरें आई कि इन सभी नेताओं के पर कतरने की रणनीति बनाई गई है , लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने इस विवाद को कुछ समय से लिए दबा दिया ।
हालांकि गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर पार्टी को लेकर बयान दिए । वहीं पार्टी के कई नेताओं ने भी इन नेताओं के बयान को पार्टी का आधिकारिक बयान नहीं बताया । इन नेताओं के बीच तल्खी उनके बयानों में झलकी ।
बहरहाल , आज यानी शुक्रवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अहम बैठक शुरू हो गई है , जिसमें वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों समेत कुछ अन्य अहम नेताओं को भी बुलाया गया है । असल में मंथन का बड़ा मुद्दा जहां पार्टी अध्यक्ष पद पर नेता का चुनाव और पार्टी के भीतर जारी गतिरोध पर अंकुश लगाना है ।
जहां लोकसभा चुनावों के बाद अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी को एक बार फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस का एक धड़ा बयान दे रहा है , वहीं कुछ लोग गांधी परिवार से अलग किसी को अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत कर रहा है । इस सबके चलते ही पार्टी के भीतर गतिरोध भी नजर आया है । इस गुट ने पार्टी अध्यक्ष समेत सीडब्ल्यूसी समेत अन्य पदों पर चुनाव करवाने की मांग रखी है ।
इस बैठक में संभावना जताई जा रही है कि अध्यक्ष पद के चुनावों को लेकर तारीखों का भी ऐलान हो सकता है । हालांकि चुनाव अंदरूनी कलह के बीच होंगे इस बात पर भी संशय बरकरार है । ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी पहले भीतर के गतिरोध को खत्म करने पर कोई फैसला लेगी , इसके बाद पार्टी अध्यक्ष के चुनावों को लेकर फैसला लिया जाएगा ।
गत 19 दिसंबर को सोनिया गांधी ने असंतुष्ट नेताओं के साथ मुलाकात करते हुए कुछ मुद्दों पर चर्चा की थी । इस सबके बाद नाराज नेताओं के रुख में थोड़ी नरमी तो आई है , लेकिन उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद के लिए अपने एक उम्मीदवार को खड़ा करने का फैसला बरकरार रखा है ।