कोलकाता । पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा काफी आक्रामक अंदाज में अपने बयान और अपनी रणनीति को अंजाम दे रही है , जबकि देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का कुछ अता- पता तक नहीं है । वहीं सत्तारूढ़ टीएमसी भी लगातार भाजपा के बढ़ते जनाधार को रोकने के लिए अपनी योजनाएं बना रही है । इस सबके बीच कांग्रेस ने बंगाल चुनावों में एक बार फिर से अपना हमराही लेफ्ट को बनाया है । इस समय कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बैठक जारी है, जिसमें भाजपा और टीएमसी के बीच जारी टक्कर में अपने हिस्से में कुछ सीट निकालने की जुगत लगाई जा रही है ।
विदित हो कि कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस और वामपंथी दलों ने एकसाथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की योजना बनाई है । वामपंथी दलों ने पहले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन की हरी झंडी दे दी थी और इसके बाद कांग्रेस ने भी साथ लड़ने का ऐलान किया । सांसद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के लिए लेफ्ट के साथ गठबंधन कर लिया है । ऐसे में एक बार फिर 2016 के विधानसभा चुनाव की तरह कांग्रेस और लेफ्ट मिलकर बंगाल में भाजपा और ममता बनर्जी से दो-दो हाथ करेने की रणनीति बना रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की 294 सीटों वाली विधानसभा में इस बार मुकाबला बहुत रोचक होने वाला है । हालांकि 2016 के विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की टीएमसी एकतरफा चुनाव जीती थी । उन्हें 294 सीटों में से 211 सीटों पर जीत हासिल हुई थीं। जबकि 92 सीटों पर लगी कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी । इसी क्रम में 148 सीटों पर सीपीएम ने चुनाव लड़ा था , जिसमें से उन्हें 26 सीट मिली थी , जबकि सीपीआई को 11 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद एक सीट पर जीत मिली थी ।
वहीं बात भाजपा की करें तो 2016 में भाजपा का जनाधार बहुत कम था , बावजूद इसके भाजपा ने 291 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उन्हें महज तीन सीटों पर जीत मिली थी । लेकिन इस बार हालात बिल्कुल अलग हैं । 2019 के लोकसभा चुनावों में बंगाल में जमकर कमल खिला और भाजपा को जहां 2014 में महज 2 सीट मिली थी , वहीं 2019 में 18 सीटें मिली ।
भाजपा ने यह टीएमसी की सीटों पर सेंध मारी थी , टीएमसी को 2014 के लोकसभा चुनावों में 34 सीटें मिली थी तो , 2019 में 12 सीटों का घाटा हुआ और 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा । कांग्रेस के हिस्से सिर्फ 2 सीटें आईं । जबकि पहले चार थी । जबकि सीपीएम ने अपने दोनों सीटों 2019 के चुनावों में गवा दी थीं ।
पिछले कुछ सालों के चुनावों पर नजर डालें तो हाल में हुए लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ा झटका वाममोर्चा को हुआ । उनके वोट प्रतिशत में 16.66 फीसदी का घाटा हुआ था । जबकि भाजपा के वोट प्रतिशत में 22.76 फीसदी का इजाफा ।
इन सभी आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से लेफ्ट और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है । हालांकि इस बार के चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी मैदान में उतर रही है , जो मुस्लिम वोटों को काटने का काम करेगी। अब ऐसी स्थिति में आने वाले समय में बंगाल चुनाव देश की राजनीतिक के लिए काफी अहम साबित होने वाले हैं ।