नई दिल्ली । कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की पिछले दिनों पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी के बाद आखिरकार अब पार्टी में व्यापक परिवर्तन हुए हैं । नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर कांग्रेस में पिछले दिनों मचे घमासान के बाद अब कांग्रेस वर्किंग कमिटी से लेकर राज्यों के प्रभारी महासचिव और प्रभारी सचिव तक को बदल दिया गया है । इतना ही नहीं पार्टी का अध्यक्ष चुनने के लिए भी नई समिति का गठन कर दिया गया है । वहीं नेतृत्व परिवर्तन की चिट्ठी लिखने वालों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले गुलाम नबी आजाद के पर कतर दिए गए हैं । इसी क्रम में गांधी परिवार के वफादार नेताओं को इस बार इनाम मिला है, वहीं परिवार के खिलाफ बोलने वाले और तेवर दिखाने वाले कुछ नेताओं को साइड लाइन भी किया गया है ।
संगठन में हुए बदलाव के बाद साफ देखा जा सकता है कि भले ही पार्टी की कमान इस समय सोनिया गांधी के पास हो , लेकिन संगठन में बदलाव के फैसलों पर राहुल गांधी की ही चली है । बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी में जिस तरह के बदलाव चाहते थे , इस दौरान उन्होंने कर दिखाया । अगर नए पदाधिकारियों को देखें तो राहुल के करीबी और चहेते युवा और वरिष्ठ नेताओं को संगठन में अहम जगह मिली है ।
जानें आखिर संगठन में हुए इस बदलाव से कौन कौन प्रभावित हुआ...
- राहुल टीम के करीबी लोगों में शुमार राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है तो विवेक बंसल को हरियाणा का । इसी क्रम में मनीष चतरथ जो अरुणाचल, देवेंद्र यादव को उत्तराखंड, राजीव साटव को गुजरात, जितेंद्र सिंह को असम और जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है । हालाकि जितिन प्रसाद को यह पद मिलना थोड़ा चौंकाने वाला है ।
- इसी क्रम में राहुल गांधी के भरोसेमंद रणदीप सिंह सुरजेवाला को महासचिव बनाकर कर्नाटक की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।
- इसके अलावा पीएल पूनिया, शक्तिसिंह गोहिल, आरपीएन सिंह की जिम्मेदारी पहले की तरह बरकरार रखी गई है ।
- अजय माकन को महासचिव बनाने के साथ ही पार्टी ने युवाओं को अब मौका मिलने का संदेश नीचे तक दिया है ।
- तारिक अनवर को राहुल गांधी ही एनसीपी से कांग्रेस में लेकर आए हैं, यही वजह है कि उन्हें कांग्रेस महासचिव के साथ-साथ अपने संसदीय क्षेत्र वाले राज्य केरल की जिम्मेदारी सौंपी है ।
- इस सबसे इतर , गुलाम नबी आजाद की पार्टी महासचिव पद से छुट्टी कर दी गई । साथ ही उन्हें हरियाणा प्रभारी पद से भी हटा दिया गया है ।
- हालांकि गुलाम नबी और आनंद शर्मा को कांग्रेस की शीर्ष इकाई कार्यसमिति में बरकरार रखा गया है ।
- इस सबके बीच पिछले दिनों अपनी नाराजगी जताने वाले कपिल सिब्बल , मनीष तिवारी, राज बब्बर, पृथ्वीराज चव्हाण और शशि थरूर के खिलाफ एक तरह से एक्शन लेते हुए उन्हें न तो संगठन में और न ही कांग्रेस कार्यसमिति में जगह दी गई है ।
- पिछले दिनों राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने वाले सचिन पायलट को मान देते हुए केंद्रीय संगठन में शामिल किए जाने के संकेत मिले रहे हैं।
- प्रियंका गांधी को महासचिव के साथ अब उत्तर प्रदेश की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी गई है ।
- संगठन का आकलन करने पर सामने आ रहा है कि इस बार कांग्रेस ने अपनी पार्टी में युवा और वरिष्ठ नेताओं का सामजस्य बैठाने की कोशिश की है । सोनिया गांधी के करीबी नेताओं के साथ ही राहुल के भी करीबी नेताओं को साथ में अहम जिम्मेदारी दी गई हैं ।
- कांग्रेस कार्यसमिति के स्थाई सदस्यों में पुराने सभी नेताओं के साथ तारिक अनवर और रणदीप सिंह सुरजेवाला को शामिल किया गया है तो दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद की वापसी हुई है ।
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी को समिति में जगह दी गई है। वहीं, विशेष आमंत्रित सदस्यों में दीपेंद्र हुड्डा, कुलदीप सिंह बिश्नोई, सचिन राव, सुष्मिता देव, चिंता मोहन, नीरज कुंदन और बीवी श्रीनिवास जैसे युवा नेताओं को भी जगह दी गई है ।
- इस बार यह खास तौर पर देखने को मिला है कि पार्टी ने अपने शीर्ष स्थानों पर हिंदी भाषी राज्यों के नेताओं को ज्यादा अहमितय दी है । यूपी बिहार , मध्य प्रदेश, हरियाणा से आने वाले कई नेता मौजूदा कार्यकारिणी में अहम पदों पर बैठाए गए हैं ।
- वहीं पिछले कुछ समय से कांग्रेस की रीढ़ बने नजर आ रहे और गांधी परिवार के बहुत करीबी कहे जाने वाले कुछ बड़े नेताओं को साइड कर दिया गया है । इनमें शामिल हैं गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, लुइजिन्हों फलेरियो । इन सभी को कांग्रेस के महासचिव पद से हटा दिया गया है ।