नई दिल्ली । कोरोना वायरस को लेकर अब तक की जारी थ्योरी के आधार पर यही बात सामने आई है कि यह चीन की एक साजिश थी । दुनिया के कई देशों की खुफिया एजेंसियों ने भी इस तरह की आशंका जताई है । लेकिन अब अमेरिका ने अपनी खुफिया एजेंसियों के हाथ लगे कुछ दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि कोरोना वायरस कुछ और नहीं बल्कि चीन का जैविक हथियार है । एक चीनी वैज्ञानिक ने सार्स कोरोना वायरस की चर्चा जेनेटिक हथियार के नए युग के तौर पर की है , कोविड इसका एक उदाहरण बताया गया है । PLA के दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि एक जैविक हमले से दुश्मन देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है ।
विदित हो कि चीन से दुनियाभर में फैला कोरोना वायरस हाहाकार मचा रहा है । भले ही चीन में कोरोना महामारी के बीच सब कुछ 6 महीने में सही हो गया हो , लेकिन दुनिया के देश 2019 से लेकर अब तक इस प्रचंड महामारी का दंश झेल रही है । हालांकि चीन ने अब तक नहीं माना है कि कोरोना वायरस उनके देश से फैला ।
देश दुनिया की कई रिपोर्ट में इस तरह का इशारा किया गया कि यह चीन की एक सुनियोजित साजिश का नतीजा था , लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत देश दुनिया के हाथ नहीं लग सका है । इस बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ चीन की एक रिपोर्ट के कुछ दस्तावेज हाथ लगे हैं , जिसमें इस बात का जिक्र है कि चीन 2015 से ही कोरोना वायरस को एक जैविक हथियार बनाने की जांच कर रहा था । अमेरिका के हाथ लगी यह रिपोर्ट 2015 की ही है ।
इतना ही नहीं चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने भी दुनिया का तीसरा विश्वयुद्ध भी जैविक हथियारों से ही लड़े जाने की बात कही थी , जो मौजूदा परिपेक्ष्य में सही होती नजर आ रही है । विदेश मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक , अमेरिकी खुफिया एजेंसी को इस बात के संकेत मिले है कि कोरोना चीनी सेना की एक कुटिल चाल थी । अमेरिकी अधिकारियों को मिले दस्तावेज 2015 में सैन्य वैज्ञानिकों और चीन के स्वास्थ्य अफसरों द्वारा लिखे गए थे , जिसमें वे खुद कोरोना की जांच कर रहे थे ।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2003 में SARS का चीन पर जो हमला हुआ था , वह भी आतंकियों द्वारा एक जैविक हथियार से किया हमला हो सकता है । इन दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि इस कोरोना वायरस को बहुत छोटा किया जा सकता है और इसे लोगों में बीमारी पैदा करने वाले वायरस के रूप में तैयार किया जा सकता है । एक ऐसे वायरस में जिसे दुनिया ने कभी न देखा हो । इस तरह इसका इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया जा सकता है ।
हालांकि विदेशी मीडिया में इस रिपोर्ट के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट पर अब चीन अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा है और उसका कहना है कि यह चीन की छवि को खराब करने की साजिश है ।