Thursday, April 25, 2024

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दिल्ली के सभी बॉर्डर पर फिर जुटने लगे किसान , आखिर क्या है किसानों का नया ''मिशन बॉर्डर''

अंग्वाल न्यूज डेस्क
दिल्ली के सभी बॉर्डर पर फिर जुटने लगे किसान , आखिर क्या है किसानों का नया

नई दिल्ली । कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब एक साल से सड़कों पर आंदोलन कर रहे किसानों की मांग को मोदी सरकार ने मानते हुए तीनों कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । हालांकि केंद्र सरकार के इस रुख के बावजूद किसानों ने अपना आंदोलन वापस नहीं लिया है , उल्टा अब किसान अपने मिशन बॉर्डर पार्ट-2 की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं । असल में 26 नवंबर यानी कल किसान आंदोलन को एक साल पूरा हो रहा है । इस बीच आज दिल्ली के सभी बॉर्डर पर एक बार फिर से किसानों की संख्या में इजाफा देखा गया है। किसान अब नए मुद्दों को लेकर अपना आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं । हालांकि पूर्व में किसानों ने कृषि कानून रद्द होने पर अपना आंदोलन भी खत्म करने का ऐलान किया था , लेकिन जैसे कयास लगाए जा रहे थे किसानों ने अब इस आंदोलन को नया मोड़ देने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है ।

किसानों ने किया बॉर्डर की ओर रुख

इस बीच दिल्ली से जुड़े गाजीपुर , सिंधु बॉर्डर समेत अन्य सभी बॉर्डरों पर किसानों की संख्या बढ़ती नजर आ रही है । किसान कल अपने आंदोलन के एक साल पूरे होने और तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने की प्रक्रिया शुरू होने का जहां जश्न मनाने के लिए जुट रहे हैं । वहीं नई रणनीति के तहत अब सरकार पर फिर से दबाव बनाने की जुगत भी लगाते दिख रहे हैं । खुद किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि आगामी 27 नवंबर को पर इस आंदोलन के आगे के रुख को लेकर नई रणनीति या फैसले पर चर्चा करेंगे और उसके बाद ही इसका ऐलान करेंगे । 

कानून निरस्त करने संबंधी विधेयक को मंजूरी

विदित हो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी है । संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध है । इससे इतर , भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा और आगे की रूपरेखा 27 नवंबर को तय की जाएगी ।

अब किसानों की आय दोगुनी करने पर सवाल


इस सबके बीच भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के केंद्र सरकार के दावों को लेकर भी प्रदर्शनकारी उससे सवाल करेंगे । टिकैत ने ट्वीट किया, 'ये आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा । 27 नवंबर को हमारी बैठक है जिसके बाद हम आगे के निर्णय लेंगे । मोदी जी ने कहा है कि एक जनवरी से किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी तो हम पूछेंगे कि कैसे दोगुनी होगी. किसानों की जीत तब होगी जब उन्हें अपनी फसलों के उचित दाम मिलेंगे।

नई रणनीति पर किसान नेता

इस सबके बीच अब खबरें हैं कि किसान नेता एक नई रणनीति के तहत अब अपनी दूसरी मांगों को लेकर सड़कों पर बैठे रहेंगे और सरकार पर उन्हें भी पूरा करने के लिए दबाव बनाना चाहेंगे। एमएसपी के मुद्दे पर सवाल दागते हुए अब किसान इसे लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं । वहीं किसान की आय बढ़ाने का मुद्दा फिर से इन बयानों में दिखने लगा है । ऐसे में कहा जा रहा है कि किसान राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए लगातार कुछ समय अपने आंदोलन को जिंदा रखना चाहते हैं । 

अब इस मुद्दे पर आंदोलन तेज 

विदित हो कि संयुक्त किसान मोर्चा के तहत देशभर से कई किसान अब सभी फसलों के लिए एमएसपी को वैध बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करने की बात कह रहे हैं । इस समय सरकार चावल और गेहूं को प्रमुख रूप से एमएसपी प्रदान करती है, भले ही सूची में 21 अन्य फसलें भी हैं । आंदोलनकारी किसानों की मांग है कि सरकार को एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहिए जिसमें किसान से खरीदारी करने वाला निजी व्यापारी भी हो, तो उपज को एमएसपी या उससे अधिक के बराबर दर मिलती है। 

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