Thursday, April 25, 2024

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रिवरफ्रंट घोटाले में नोएडा - लखनऊ , रायबरेली समेत देश के 42 ठिकानों पर CBI की रेड , इंजीनियर के घर पहुंची टीम

अंग्वाल न्यूज डेस्क
रिवरफ्रंट घोटाले में नोएडा - लखनऊ , रायबरेली समेत देश के 42 ठिकानों पर CBI की रेड , इंजीनियर के घर पहुंची टीम

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसी , सीबीआई ने छापेमारी की बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है । CBI की एंटी करप्शन विंग ने इस घोटाले को लेकर सोमवार देश के 42 ठिकानों पर छापेमारी को अंजाम दिया है । सीबीआई की टीम ने यूपी के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 42 जगहों पर रेड की है । यूपी में राजधानी लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर , इटावा और रायबरेली समेत अन्य जगहों पर छापेमारी की गई है । इस दौरान आरोपी इंजीनियर के घर भी सीबीआई की टीम पहुंची है ।

सपा सरकार में हुआ रिवर फ्रंट घोटाला

विदित हो कि पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान रिवर फ्रंट घोटाला हुआ था । असल में, लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे । इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार की ओर से 1437 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए , बावजूद इसके इस फ्रंट का महज 60 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है । इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाली संस्थाओं ने करीब 95 फीसदी बजट को खर्च कर दिया लेकिन काम महज 60 फीसदी ही हुआ है। 

शुक्रवार को हुआ था 190 लोगों पर केस

विदित हो कि इस मामले में योगी सरकार ने अपनी पड़ताल शुरू कर दी थी । गत शुक्रवार को ही इस मामले में 190 लोगों पर केस दर्ज किया गया है । इसके बाद सोमवार सुबह देश के कई राज्यों में 42 ठिकानों पर छापेमारी की कई है । इस दौरान इस प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियर के घर भी छापे पड़े हैं । 

जानें इस घोटाले से जुड़ी अहम बातें... 

- बता दें कि वर्ष 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था । 

 - सामने आया कि गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों ने दागी कंपनियों को काम दिया । 


- इस दौरान काम करने वाली संस्थाओं ने विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं किया । 

- सामने आया कि इस मामले की जांच करने के बाद सामने आया कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया। 

 

- पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था । 

-  मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच की जिनकी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं । 

-  आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था । 

 

 

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