हाथरस । देश के बहुचर्चित हाथरस कांड के बाद यूपी में दंगे करवाने की साजिश का खुलासा लगातार हो रहा है । दंगों की साजिश के तार जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से लेकर भीम आर्मी से जुड़ रहे हैं । वहीं अब नया खुलासा हुआ है कि इस मामले में विदेश से फंडिंग के साथ ही खनन माफिया से जुड़े लोगों के जुड़ने के सबूत भी जांच एजेंसियों के साथ लगे हैं । पुलिस ने पिछले कुछ दिनों की जांच के बाद अब यह निष्कर्ष निकाला है कि विदेशों से दंगा भड़काने के लिए आया पैसा यूपी में दंगा करवाने की साजिश रचने वालों तक पहुंचाया गया । मॉरिशस से इसी क्रम में 50 करोड़ रुपये आ भी गया था ।
विदित हो कि यूपी की योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश का खुलासा करते हुए यूपी पुलिस ने दंगा भड़काने की साजिश और कई अन्य धाराओं के तहत मथुरा से 4 लोगों को गिरफ्तार किया है । बताया जा रहा है कि इन चारों का संबंध पीएफआई से है । इन लोगों के पास से काफी आपत्तिनजक सामाग्री मिली थी ।
इतना ही नहीं यूपी में हिंसा की साजिश में पीएफआई का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने उसके मुखपत्र के संपादक को गिरफ्तार किया है, जो शाहीन बाग के पीएफआई दफ्तर का सचिव भी था । पुलिस उसे रिमांड पर लेने की कोशिश कर रही है ताकि पूछताछ के बाद जांच को आगे बढ़ाया जा सके ।
पुलिस ने अपनी जांच में पीएफआई के साथ चंद्रशेखर की भीम आर्मी की मिलीभगत होने की बात कही है । पुलिस यूपी में दंगों की साजिश के लिए विदेशी फंडिंग के लिए हुई बैंक ट्रांजेक्शन की जांच कर चुकी है । जांच में सामने आया है कि पीएफआई ने भीम आर्मी को भी दंगे फैलाने के लिए फंडिंग की ।
इतना ही नहीं पश्चिमी यूपी के एक खनन माफिया के भी इस मामले में फंडिग के सुराग सामने आए हैं । इस माफिया का नाम चीनी मिल घोटाले में भी शामिल है । योगी सरकार का कहना है कि हाथरस में हिंसा होती तो पश्चिमी यूपी चपेट में आता । ये साजिशकर्ता पीड़िता को इंसाफ दिलाने की आड़ में एक बड़ी साजिश रच रहे थे , जिसमें पूरे यूपी में हिंसा फैलाने के साथ ही योगी सरकार को बदनाम करने की षड़यंत्र था ।
इस बीच पीएफआई के गिरफ्तार चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और पीएफआई की तरफ से सफाई सामने आई है।