श्रीनगर । अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद जहां दुनिया की निगाहें अब तालिबानी लड़ाकों की हरकतों पर है , वहीं भारत सरकार को ऐसे समय में ज्यादा सजग होना पड़ रहा है । बाहरी चुनौतियों का सामना करने के साथ ही साथ भारत सरकार को अंदरूनी चुनौतियों का भी सामना करने की रणनीति बनानी पड़ रही है । इस सबके बीच मंगलवार को जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से गुपकार की बैठक हो रही है , जिसमें यूं तो जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर चर्चा और रणनीति बनाने की बात कही जा रही है , लेकिन पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के तालिबान और जम्मू कश्मीर को जोड़ते हुए जो बयान दिए, उससे मोदी सरकार सतर्क हो गई है ।
वर्तमान स्थिति पर चर्चा को गुपकार की बैठक
बता दें कि जम्मू कश्मीर में वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए गुपकार गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुपकार स्थित आवास पर एक बैठक हो रही है । गुपकार घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) की इस बैठक में सभी दलों के नेता शामिल भी हुए हैं । हालांकि यह बैठक पूर्व में हुई बैठकों से अलग है । इस बार बैठक में न केवल घटक दलों के शीर्ष नेताओं को बुलाया गया है, बल्कि मध्यम स्तर के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
पहले पूर्ण राज्य का दर्जा फिर चुनाव - गुपकार
विदित हो कि इससे पहले गुपकार घोषणापत्र गठबंधन की बैठक 5 जुलाई को हुई थी। उस दौरान भी गठबंधन ने साफ कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा फिर से बहाल होने के बाद ही यहां विधानसभा चुनाव करवाए जाएं ।
ये अहम नेता है बैठक में शामिल
-गठबंधन के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला
- गठबंधन की उपाध्यक्ष और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती
- नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हसनैन मसूदी
- पीपल्स मूवमेंट के प्रमुख जावेद मुस्तफा मीर
- अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर अहमद शाह