भोपाल । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित एक धर्मसंसद में महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द करने और नाथुराम गोड़से की तारीफ करने वाले संत कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया गया है । छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें मध्यप्रदेश के खजुराहों से गिरफ्तार किया गया है । उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है । वहीं उनकी गिरफ्तारी के बाद सियासी घमासान मच गया है । मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस की इस कार्रवाई को गलत करार देते हुए संघीय ढांचे के खिलाफ बताया । वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा ये बताएं कि वह महात्मा गांधी के खिलाफ बोलने वाले की गिरफ्तारी से खुश हैं या नहीं ।
विदित हो कि छत्तीसगढ़ में आयोजित एक धर्मसंसद में संत कालीचरण ने महात्मा गांधी को लेकर विवादित बयान दिया । उन्होंने देश के बंटवारे के लिए बापू को जिम्मेदार ठहराया । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर दिए गए इस विवादित बयान से नाराज होकर कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेताओं ने तीखी आलोचना की है । इसके साथ ही कालीचरण महाराज के खिलाफ FIR दर्ज कर की गई । कांग्रेस नेता व रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे की शिकायत के बाद टिकरापारा थाने में गैर जमानती धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है ।
इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने एमपी के खजुराहो से संत कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया है । उनकी गिरफ्तारी के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच ठन गई है । मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस का राज्य पुलिस को बिना जानकारी दिए इस तरह से संत कालीचरण को गिरफ्तार करना संघीय ढांचे के खिलाफ है । उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से पहले छत्तीसगढ़ पुलिस को मध्य प्रदेश पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए थी ।
हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी पुलिस की कार्रवाई को सही करार दिया । बघेल ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संत के परिजनों और वकील को उनकी गिरफ्तारी की सूचना दे दी गई है 24 घंटे के भीतर उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा । उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि न्याय में इतना विलंब नहीं होना चाहिए कि वो अन्याय लगे ।
कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलुजा ने इस पूरे घटनाक्रम पर नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पहले तो खुद सरकार को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए , लेकिन वह सवाल उठा रही है । होना तो यह चाहिए था कि एमपी सरकार को खुद उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए था लेकिन लग रहा है कि खुद शिवराज सिंह सरकार उन्हें सरक्षण दे रही थी ।