Saturday, April 20, 2024

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स्वाधीनता संग्राम में लाखों लोगों की तपस्या शामिल थी , उनके इतिहास को सीमित करने की कोशिशें हुईं - पीएम मोदी

अंग्वाल न्यूज डेस्क
स्वाधीनता संग्राम में लाखों लोगों की तपस्या शामिल थी , उनके इतिहास को सीमित करने की कोशिशें हुईं - पीएम मोदी

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम दिल्ली के इंडिया गेट पर महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा (Hologram Statue) का अनावरण किया । इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की अनदेखी पर अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व की कांग्रेस सरकारों पर तंज कसा । उन्होंने इस दौरान कहा कि स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं। लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है।

महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम हुआ

इस दौरान पीएम मोदी ने किसी का नाम न लेते हुए पूर्व की सरकारों पर लगाता कटाक्ष किए । उन्होंने कहा - आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया। स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं। लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है।

नेतीजी ने सिखाया आपदा को अवसर में कैसे बदलें

इस दौरान उन्होंने कहा - परिस्थितियां कैसी भी हो, अगर हम में हौसला है तो हम आपदा को भी अवसर में बदल सकते हैं। यहीं संदेश नेताजी ने हमें आजादी की लड़ाई के दौरान दिया था। नेताजी कहते थे- "कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके। आज हमारे सामने आज़ाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। 


 

Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेंगे 

पीएम मोदी ने कहा - नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी। हमें नेताजी सुभाष की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है। हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है । नेताजी को देश पर विश्वास था, उनके ही भावों के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया की कोई भी ताकत नहीं है जो भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके।

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