नई दिल्ली । भारत का पड़ोसी देश म्यांमार एक बार फिर से दुनिया के लिए खबरों के केंद्र में आ गया है । असल में म्यांमार में तख्तापलट हो गया है , जिसके बाद वहां की सेना ने वास्तविक नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और देश में एक साल के लिए इमरजेंसी लागू कर दी गई है । सेना ने इसका ऐलान करते हुए साफ कर दिया है कि अब देश की कमान सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्वाइंग के पास आ गई है । सेना ने अपनी इस कार्रवाई को लेकर जारी किए एक बयान में कहा है कि चुनावों में हुई धोखाधड़ी के जवाब में सेना ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है । सेना के इस तख्तापलट का कोई विरोध न कर सके , इसके लिए पूरे देश में कई जगहों पर सेना की तैनाती की गई है ।
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब म्यांमार में सेना के हाथों देश की कमान रही हो । इससे पहले 1962 से लेकर 2011 तक देश में सैन्य शासन रहा है । 2010 के चुनावों के बाद 2011 में वहां एक लोकतांत्रिक सरकार बनी थी , जिसके बाद वहां अन्य देशों की तरह की एक सरकारी तंत्र स्थापित हुआ । हालांकि इस दौरान भी सत्ता की चाबी सेना के पास ही रही ।
बहरहाल , एक बार फिर से हाल में हुए चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए सेना ने तख्तापलट कर दिया है और देश में एक साल के लिए इमरजेंसी लागू कर दी है । इसके साथ ही वास्तविक नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया ।
म्यांमार की सेना की इस कार्रवाई पर अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है । व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, 'बर्मा की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और अन्य नागरिक अधिकारियों की गिरफ्तारी सहित देश के लोकतांत्रिक संक्रमण को कम करने के लिए कदम उठाए हैं ।
इससे इतर , म्यांमार सेना को चेतावनी देते हुए अमेरिका ने कहा, 'संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल के चुनावों के परिणामों को बदलने या म्यांमार के लोकतांत्रिक व्यवस्था को किसी भी तरह से प्रभावित करने का विरोध किया है ।