Wednesday, April 24, 2024

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पटाखों से धुएं से नहीं , दिल्ली - एनसीआर में प्रदूषण का यह निकला असल कारण , नासा की रिपोर्ट से खुलासा

अंग्वाल न्यूज डेस्क
पटाखों से धुएं से नहीं , दिल्ली - एनसीआर में प्रदूषण का यह निकला असल कारण , नासा की रिपोर्ट से खुलासा

नई दिल्ली । दिल्ली एनसीआर की आवोहवा में घुला प्रदूषण इन दिनों लोगों के लिए परेशानी का बड़ा कारण बन गया है । कोर्ट से लेकर दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों दिल्ली में पटाखों की बिक्री से लेकर उन्हें जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था , बावजूद इसके लोगों ने पटाखे जलाए , जिसे लेकर कोर्ट ने भी नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लिया । हालांकि अब नासा ने अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुए पटाखों के धुएं को हालिया प्रदूषण का जिम्मेदार न मानते हुए इस संकट के लिए पड़ोसी राज्य द्वारा जलाई जा रही पराली को अहम कारण माना है । 

दीपावली के धुएं को ठहराया जा रहा कारण

विदित हो कि इन दिनों दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के स्तर को खतरे से बहुत ऊपर बताया जा रहा है । इसके लिए दीपावली पर लोगों द्वारा पटाखों को कारण बताया जा रहा है । लेकिन अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने अपनी रिपोर्ट में इसके लिए पटाखे नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने को दोषी माना है । हालांकि कोर्ट समेत दिल्ली सरकार ने दीपावली पर प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाए जाने को इस प्रदूषण का जिम्मेदार माना था ।

74,000 से अधिक हॉटस्पॉट का पता लगाया


नासा ने अपनी एक रिपोर्ट में दिल्ली एनसीआर के ऊपर प्रदूषण के स्तर को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है । इस रिपोर्ट के अनुसार -16 नवंबर तक ‘विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट (वीआईआईआरएस)’ सेंसर ने पंजाब में 74,000 से अधिक हॉटस्पॉट का पता लगाया । यह संख्या 2016 में सेंसर द्वारा खोजे गए 85,000 हॉटस्पॉट के लगभग बराबर ही है । 11 नवंबर को नासा ने पाया कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से उत्तर-पश्चिमी भारत में हवा की गुणवत्ता में तेज गिरावट आई है ।  

पाकिस्तान में लगी आग का भी असर 

इसी क्रम में नासा ने कहा कि पराली जलाने की वजह से 11 नवंबर, 2021 को सुओमी एनपीपी उपग्रह पर वीआईआईआरएस ने पंजाब और हरियाणा में आग से उठने वाले धुएं का विशाल गुबार दिल्ली की ओर जाते देखा, जो भारत की सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है । नासा ने कहा कि पाकिस्तान में लगी आग ने भी इस धुएं में योगदान दिया । नासा के अनुसार, भारत की राष्ट्रीय राजधानी में सेंसर ने नवंबर में कई मौकों पर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर दर्ज किया गया, जो WHO द्वारा अनुशंसित 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के स्तर से अधिक है । 

 

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