नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन बदस्तूर जारी है । भले ही कई दिल्ली- हरियाणा- उत्तर प्रदेश - पंजाब , राजस्थान में किसानों के इस आंदोलन से आम लोगों को बहुत परेशानी हो रही हो , लेकिन राज्य सरकारें इन प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ कोई कार्रवाई करती नजर नहीं आ रही है। बहरहाल , लोगों की इस परेशानी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने दिल्ली - राजस्थान , हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी किया है । आयोग ने संबंधित अफसरों से इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है ।
बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को किसान आंदोलन से जुड़ी कई शिकायतें मिली हैं , जिसमें कहा गया है कि इन चार राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से 9,000 से अधिक उद्योग बंद हो गए हैं । इतना ही नहीं कई हाईवे पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है । इसके चलते आम जनता, मरीजों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । इतना ही नहीं बॉर्डर बंद होने के चलते लोगों को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है जिसके चलते आम जनता की परेशानियां काफी ज्यादा बढ़ रही है ।
इन शिकायतों के आधार पर अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण यानी डीडीएमए और गृह मंत्रालय से आंदोलन में हो रहे कोविड नियमो के उल्लंघन पर भी रिपोर्ट मांगी है ।आयोग का कहना है कि उन्हें मिली शिकायतों के अनुसार , खासतौर पर इन 4 राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से अनेक उद्योग/धंधे बंद हो चुके हैं । अव्यवस्था के चलते आम जनता के रोजाना के कामों पर तो असर पड़ रहा है इसके साथ ही यातायात व्यवस्था, स्वास्थ्य, रोजगार आदि प्रभावित होने से एक आम नागरिक के मौलिक अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं ।
राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को नोटिस देने के अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने Institute of Economic Growth से 10 अक्टूबर तक किसान आंदोलन की वजह से उद्योगों पर पड़े प्रभाव पर रिपोर्ट देने को कहा है ।
इसी क्रम में आयोग ने दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क और दिल्ली विश्वविद्यालय से भी कहा है कि वो एक सर्वे करवाएं कि किसानों द्वारा लंबे समय से चल रहे आंदोलन के कारण लोगों की आजीविका, लोगों के जीवन, वृद्ध और दुर्बल व्यक्तियों पर इसका कितना प्रभाव पड़ रहा है इसका आकलन कर रिपोर्ट एनएचआरसी के सामने पेश करें ।