नई दिल्ली । बजट सत्र के तीसरे दिन संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया । इन दलों की मांग थी कि अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका की शॉर्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) के आरोपों के साथ ही सार्वजनिक बैंकों और LIC के अडानी समूह में निवेश और निवेशकों के हितों की सुरक्षा को लेकर संसद में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए । सदन में इन मांग को लेकर हुए हंगामे के बाद दोनों ही सदनों को स्थगित कर दिया गया ।
विपक्षी 9 दलों ने उठाया मुद्दा
संसद में बजट पेश होने के अलगे ही दिन विपक्षी दलों ने दोनों ही सदनों में अपनी मांग को लेकर हंगामा किया । 9 विपक्षी दलों ने मांग रखी कि हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से धोखाधड़ी के दावों के बाद अडानी समूह के शेयरों में निरंतर गिरावट से भारतीय निवेशकों के लिए जोखिम पर चर्चा होनी चाहिए । इन दलों ने किसी संसदीय पैनल या सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति से जांच कराने की मांग रखी । कांग्रेस ने अडानी एंटरप्राइजेज के मामले को लेकर कहा कि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश की देखरेख में इस पूरे मामले की जांच की जाए और उसकी रिपोर्ट प्रतिदिन सार्वजनिक की जाए. इस प्रकरण को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन हो ।
जारी रखेंगे अपना विरोध
इस दौरान कांग्रेस समेत 9 अन्य दलों ने संसद के मौजूदा बजट सत्र को लेकर रणनीति बनाई है कि वह पूरे सत्र के दौरान अडानी एंटरप्राइजेज से जुड़े मुद्दे को उछालेंगे । विदित हो कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने अडानी एंटरप्राइजेज का प्रत्यक्ष उल्लेख किए बिना राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया था । नोटिस में मांग की गई थी कि बाजार में पूंजी गंवाती कंपनियों में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के निवेश के मुद्दे पर चर्चा कराई जाए ।
13 फरवरी तक चलेगा बजट सत्र
विदित हो कि संसद का बजट सत्र मंगलवार से शुरू हुआ है जो आगामी 13 फरवरी तक चलेगा । 14 फरवरी से 12 मार्च तक सदन की कार्यवाही नहीं होगी और इस दौरान विभागों से संबंधित संसदीय स्थायी समितियां अनुदान मांगों की समीक्षा करेंगी और अपने मंत्रालयों और विभागों से संबंधित रिपोर्ट तैयार करेंगी । बजट सत्र का दूसरा भाग 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा ।
अडानी एंटरप्राइजेज ने की है घोषणा
अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद अडानी एंटरप्राइजेज ने अपने 20 हजार करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा कर दी है। कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था । ऐसा माना जा रहा है कि कंपनी ने ये निर्णय हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद लिया है ।