नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की । इतना ही नहीं इस दौरान राहुल गांधी ने कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर अपने बच्चों को टिकट दिलवाने के लिए ज्यादा सक्रिय होने और चुनावों पर कम ध्यान देने की बातें तक कह डालीं। इस सब में उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी नाम लिया था । इस सब के बीच खबर है कि अपने इस्तीफे की पेशकश के 72 घंटे के भीतर ही राहुल गांधी के तेवर नरम पड़ गए हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेताओं के काफी मानमनोव्वल के बाद राहुल सशर्त पार्टी अध्यक्ष बने रहने पर मानते नजर आ रहे हैं। पार्टी नेताओं ने राहुल से कहा है कि पार्टी को उनका विकल्प नहीं मिल रहा है । वह अपनी मर्जी से पार्टी को चलाएं । वहीं मंगलवार सुबह अशोक गहलोत एक बार फिर राहुल गांधी से मिलने पहुंचे, इससे पहले सचिन पायलट भी राहुल गांधी से मिले ।
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बता दें कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बदस्तूर जारी रहने के क्रम से आहत होकर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने वर्किंग कमेटी की बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश कर डाली । हालांकि वर्किंग कमेटी ने उनके इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया है , लेकिन राहुल गांधी ने अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल से मिलकर अपना विकल्प खोजने के लिए कहा था । लेकिन अब कहा जा रहा है कि राहुल के तेवर नरम पड़ गए हैं। खबर है कि राहुल गांधी कुछ ओर समय तक पार्टी अध्यक्ष रह सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने कुछ शर्ते रखी हैं।
राहुल गांधी ने दो वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात कर कहा - मेरा विकल्प खोज लो , इस्तीफा वापस नहीं लूंगा
सूत्रों के अनुसार , पार्टी अध्यक्ष बने रहने के अनुरोध के बीच राहुल गांधी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के साथ कई दौर की बैठकें की । कहा जा रहा है कि राहुल गांधी सशर्त अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए राजी हो गए हैं। राहुल गांधी ने कहा गया है कि वह अपनी मर्जी के अनुसार पार्टी को चलाएं । पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी को उनका कोई विकल्प नहीं मिल रहा है । ऐसे में वह पार्टी की कार्यप्रणाली में जो भी बदलाव करना चाहते हैं करें , लेकिन पद पर बने रहें।