नई दिल्ली । देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन की कमी को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ आ गया है । देश में कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ निदेशक ने मोदी सरकार को वैक्सीन को लेकर जारी विवाद के बीच आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार ने न ही अब तक तैयार स्टाक को देखा , न ही उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन पर नजर दौड़ाई और बस टीकाकरण का विस्तार कर दिया । सरकार को WHO की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए ही लोगों को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देनी चाहिए थी । उन्होंने कहा कि हम अभी प्राथमिक चरण के लोगों के लिए वैक्सीन तैयार कर रहे थे कि सरकार ने 45 साल से ऊपर वालों के लिए और फिर 18 साल से ऊपर वालों के लिए भी वैक्सीन लगाने का ऐलान कर दिया ।
बता दें कि पिछले दिनों देश के कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी के चलते अपने यहां वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू करने से मना कर दिया है । मोदी सरकार पर अनियमितता बरतने और देश के लोगों से पहले वैक्सीन को एक्सपोर्ट करने के आरोप लगाए गए । इस सबके बीच अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वरिष्ठ निदेशक सुरेश जाधव ने कहा कि मोदी सरकार ने वैक्सीनेशन का विस्तार तो कर दिया लेकिन उन्होंने न तो स्टॉक देखा और न ही डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन ही देखी ।
उन्होंने कहा कि पहले चरण में हमें 300 मिलियन लोगों को वैक्सीन लगानी थी , जिसके लिए 600 मिलियन डोज तैयार करनी थी । हम इस टारगेट तक पहुंच पाते , इससे पहले ही सरकार ने 45 साल से ऊपर वालों के लिए और उसके बाद 18 साल से ऊपर वालों के लिए वैक्सीन लगाने की तारीखों का ऐलान कर दिया । यह सब ऐसे समय में हुआ जब सरकार को इस बात की जानकारी थी कि हमारे पास अभी इतना स्टॉक नहीं है । सरकार को इस सबसे पहले स्टॉक की उपलब्धता का ध्यान रखना था ।