नई दिल्ली । दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की बेहतर खराब स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई हुई । इस दौरान केंद्र समेत पंजाब , हरियाणा , दिल्ली सरकार ने भी कोर्ट में अपने हलफनामें दर्ज किए । कोर्ट ने इन सबके हलफनामों पर नजर डालने के बाद सबको फटकार लगाते हुए कहा कि इस मुद्दे को भटकाने की कोशिश न की जाए । इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि जब दिल्ली में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध था तो आखिर लोगों को पटाखे कैसे चलाने दिए गए । कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं दिल्ली एनसीआर में छाए ये काले बादल साफ हों , ताकि लोगों को राहत मिल सके ।
विदित हो कि कोर्ट में प्रदूषण मुद्दे पर सुनवाई करते हुए CJI ने कहा ये आंकड़े हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं । मुद्दे को घुमाने की कोशिश ना हो । हमें प्रदूषण कम करने की चिंता है । उन्होंने पूछा कि अब तक प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ।
प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने पूछा कि बैन के बावजूद पटाखे क्यों चले? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि आपने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए ।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन समिति की बैठक में सचिव पॉवर ,सचिव डीओपीटी, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के मुख्य सचिव बैठक में उपस्थित थे । दिल्ली के 300 किलोमीटर में 11 थर्मल प्लांटों में से, केवल 5 काम कर रहे हैं । अन्य को बंद कर दिया गया है और यदि कोई आवश्यकता है तो इस दायरे से बाहर के संयंत्रों को भी बंद किया जा सकता है ।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा 10 साल से अधिक (पुराने डीजल या पेट्रोल से चलने वाले) कोई भी वाहन सड़क पर नहीं चलेंगे । हमने केंद्रीय कर्मियों के वर्क फ्रॉम होम पर भी विचार किया, लेकिन ये देखा गया है कि संख्या बहुत अधिक नहीं है, ऐसे में उन्हें कार पूल करने की सलाह दी गई है । मेहता ने कहा, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए WFH संभव नहीं है । दरअसल, कोरोना के चलते पहले ही काम काफी प्रभावित हो चुका है ।