नई दिल्ली । नेशनल हेराल्ड केस में ईडी द्वारा सोनिया गांधी से की जा रही पूछताछ के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष की एक अहम याचिका को खारिज करते हुए उन्हें बड़ा झटका दिया है । कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ईडी (ED) को गिरफ्तार करने और समन भेजने का पूरा अधिकार है । इस निर्देश के साथ ही कोर्ट ने पीएमएलए कानून के खिलाफ दायर याचिका को भी रद्द कर दिया ।
बता दें कि विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए PMLA के कई प्रावधानों को कानून और संविधान के खिलाफ बताया था । इस मामले में कोर्ट ने आज सुनवाई की । कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए पीएमएलए कानून को पूरी तरह से सही करार दिया । कोर्ट ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है । उसे मूल अपराध के साथ जोड़ कर ही देखने की दलील खारिज की जा रही है । कोर्ट ने ये भी कहा कि, सेक्शन 5 में आरोपी के अधिकार भी संतुलित किए गए हैं । ऐसा नहीं कि सिर्फ जांच अधिकारी को ही पूरी शक्ति दे दी गई है ।
इस दौरान ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि एस पीएमएलए कानून में सेक्शन 18 पूरी तरह से वैध है । कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि सेक्शन 19 में हुआ बदलाव भी करार किया है । सेक्शन 24 भी वैध है साथ ही 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही है ।
असल में विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में PMLA के कई प्रावधान कानून के खिलाफ बताए गए थे । दलीलों में इस्तेमाल गलत तरीके से किए जाने की बात की थी । याचिका में कहा गया था कि गलत तरीके से पैसा कमाने का मुख्य अपराध साबित न होने पर भी पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में PMLA का मुकदमा चलता रहता है । इसके अलावा ये भी कहा गया कि, इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है । साथ ही ये भी कहा गया था कि, कानून में अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं ।
वहीं, सरकार ने कानून के पक्ष में अपना जवाब देते हुए कहा कि, कार्रवाई से बचने के लिए इस प्रकार की याचिकाएं दायर की जा रही हैं । मोदी सरकार ने इस पर कहा था कि यह वहीं कानून है जिसकी मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों से अब तक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूले गए हैं । बहरहाल , कोर्ट द्वारा इस याचिका को खारिज किए जाने से विपक्ष को करारा झटका लगा है ।