नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महिलाओं के मद्देनजर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है । घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) के तहत देश की शीर्ष अदालत ने एक मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी परिवार की बहू को आश्रित ससुराल में रहने का पूरा अधिकार है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिवार की बहू को पति या परिवार के सदस्यों द्वारा साझा घर से नहीं निकाला जा सकता। कोर्ट ने साफ किया कि भले ही घर पति का हो , ससुरालियों का हो या किराये पर लिया गया हो, उसे घर से कोई बाहर नहीं कर सकता ।
बॉलीवुड के मुद्दे पर भड़के उद्धव ठाकरे , बोले- फिल्म इंडस्ट्री को मुंबई से शिफ्ट करने की साजिश , हम बदार्श्त नहीं करेंगे
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टि एमआर शाह की तीन सदस्यी पीठ ने यह ऐतिसाहिस फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि पीड़िता को कोई घर से बेदखल नहीं कर सकता । असल में दिल्ली के परिवार द्वारा दाखिर किए गए एक मामले पर सुनवाई करते हुए इस तीन सदस्यीय पीठ ने कहा - देश में आज भी हर रोज कई महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं , जिसे रोकने के लिए अब बड़े कदम उठाने की जरूत है । इस दिशा में कड़े कदम उठाने की जरूरत है । घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रत्येक महिला को साझा घर में निवास करने का अधिकार होगा ।
बलिया गोलीकांड - मुख्य आरोपी के भाई समेत 5 गिरफ्तार , भाजपा विधायक बोले - आत्मरक्षा में धीरेंद्र ने की फायरिंग
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘अकेली महिला को जीवनकाल में कई बार हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है । इसी दिशा में बना 2005 का कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है । इसमें उल्लिखित धारा 2 (एस) में दिए गए साझा घर की परिभाषा का मतलब उस घर से नहीं है जो संयुक्त परिवार का है, जिसमें पीड़िता के पति का हिस्सा है बल्कि जिसमें पति का स्वामित्व नहीं है उससे भी पीड़िता को बेदखल नहीं कर सकते ।
घाटी में फिर सियासी हंगामे की आशंका , ''गुपकार बैठक'' में अब्दुल्ला बोले - मोदी सरकार वापस दे हमारे अधिकार