नई दिल्ली । देश की सर्वोच्च अदालत ने बैंकों में लॉकरों को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि बैंक अपनी लॉकर सुविधा की जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते हैं । उन्हें इसे लेकर व्यवस्था बनानी ही होगी । इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई को निर्देश दिए कि वह 6 महीने में इस मामले को लेकर नियम बनाए । कोर्ट ने कहा कि बैंक के लॉकरों में रखी आम आदमी की संपत्ति और अन्य दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी बैंकों की है , बैंक इससे बच नहीं सकते ।
बता दें कि पिछले कुछ समय में बैंक के लॉकरों में रखी गई संपत्ति और उसके उसे होने वाले नुकसान को लेकर बैंकों की ओर से बयान जारी हुए थे । इस पूरे मुद्दे ने काफी हंगामा भी खड़ा किया था । कुछ मामलों में बैंक ने लॉकरों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की बातें सामने आई थीं ।
इस सारे मामले को लेकर कोलकाता के अमिताभ दासगुप्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न केवल बैंक को उक्त मामले में पीड़ित बैंक लॉकर धारक को नुकसान की भरपाई करने के आदेश दिए , बल्कि इस पूरे प्रकरण को लेकर भी निर्देश दिए ।
असल में कोर्ट ने बैंकों के लॉकर की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की कई धाराओं का उल्लंघन करार दिया । कोर्ट ने कहा कि मौजूदा दौर में ऐसे फैसले और नियम निवेशकों के भरोसे को कमजोर करने का काम करते हैं ।
ऐसे में कोर्ट ने कहा कि मौजूदा दौर में ग्राहक बैंकों की दया पर निर्भर हो गए हैं , लेकिन बता दें कि बैंक अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते । यह भी नहीं कह सकते कि लॉकरों की देखरेख की उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं हैं ।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक को निर्देश दिए कि वह बैंकों के लिए इस समस्या के निदान हेतु 6 महीने के भीतर दिशानिर्देश बनाकर जारी करें । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि बैंक ग्राहकों पर एकतरफा नियम नहीं थोप सकते ।