नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए उनकी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट ''सेंट्रल विस्टा'' को हरी झंडी दिखा दी है । असल में गत दिनों संसद की नई इमारत के निर्माण को लेकर कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस प्रोजेक्ट पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी , लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट को सही माना । कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट को भी नियमों को अनुरुप माना है । इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने लैंड यूज चेंज करने के इल्जाम की वजह से सेंट्रल विस्टा की वैधता पर सवाल खड़े करने वाली याचिका को फिलहाल लंबित रखा है ।
बता दें कि मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के तहत ही संसद की नई इमारत का निर्माण हो रहा है । इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर हुई थीं । इस मसले पर जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया ।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी देते समय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखते हैं । कोर्ट ने कहा कि इस परियोजना के निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धरोहर संरक्षण समिति की स्वीकृति आवश्यक है । इसके साथ ही कोर्ट ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने से पहले हेरिटेज कमेटी से अनुमोदन लेने का निर्देश दिया है ।
हालांकि केंद्र द्वारा विस्टा के पुनर्विकास योजना के बारे में भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है । अब कोर्ट इस पर भी सुनवाई करेगा ।
असल में गत दिनों पीएम मोदी ने नई संसद की आधारशिला रखी थी । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ गिराने या स्थानांतरित करने का काम ना हो ।
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वर्तमान संसद भवन गंभीर आग की आशंका और जगह की भारी कमी का सामना कर रहा था । ऐसे में इस प्रोजेक्ट के तहत हैरिटेज बिल्डिंग को संरक्षित किया जाएगा । मौजूदा संसद भवन 1927 में बना था जिसका उद्देश्य विधान परिषद के भवन का निर्माण था न कि दो सदन का था ।