नई दिल्ली । देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में शाहीन बाग में 100 दिनों से ज्यादा दिन तक लोग धरने पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया । कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को रोक नहीं सकता । सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल के लिए कब्जा नही किया जा सकता। देश की जनता के पास किसी मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन अंग्रेजों के राज वाली हरकत अभी करना सही नहीं है।
विदित हो कि नागरिकता कानून बिल के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में लोगों ने सड़क को जाम करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था । हालांकि कोरोना वायरस के कारण दिल्ली में धारा 144 लागू होने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया था। इस पर वहां प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। इन लोगों का कहना था कि पुलिस ने उनके अधिकारों का हनन किया है ।
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इस मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया । सुप्रीम कोर्ट ने कहा CAA के विरोध (Anti CAA Protest in Shaheen Bagh News) में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक किया। सुसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है। विरोध जताने के लिए सार्वजनिक स्थानों को अवरुध करना गलत है । ऐसा नहीं किया जा सकता।
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इस दौरान उन्होंने प्रशासन से कहा कि उन्हें इस तरह के अवरोध को हर हाल में हटाना चाहिए । विरोध प्रदर्शन तय जगहों पर ही होना चाहिए। अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शन लोगों के अधिकारों का हनन है। कानून में इसकी इजाजत नहीं है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता। सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता लेकिन वह ऐसी जगहों पर हों, जिससे किसी को परेशानी न हो ।
कोर्ट ने इस दौरान कहा कि संविधान विरोध करने का अधिकार देता है लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिएट ।