नई दिल्ली । रूस के साथ जारी जंग में अब यूक्रेन ने अपनी जंग की रणनीति में बदलाव करना शुरू कर दिया है । दोनों देशों के बीच जारी जंग के पांचवें दिन यूक्रेन ने अपने उन कैदियों को फिर से हथियार थमा दिए हैं , जो पहले फौज में रह चुके हैं या जिन्हें हथियार चलाना आता है । वहीं रूसी राष्ट्रपति ने दूसरे देशों के इस युद्ध में कूदने पर परमाणु हथियारों की धमकी दे डाली है । हालांकि अब अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के हवाले से खबर आ रही है कि रूस के समर्थन में अब बेलारूस भी अपने जवानों को यूक्रेन भेज सकता है । इस सबके बीच रूस को लगातार आर्थिक झटके लग रहे हैं । वहीं रूसी जहाजों को रोकने पर टर्की भी फैसला लेने जा रहा है । इस जंग के चलते डॉलर के मुकाबले रूस की करेंसी रूबल 40 फीसदी तक नीचे गिर गया है ।
इससे इतर , मोदी सरकार ने इस जंग के वर्तमान संकट को ध्यान में रखते हुए फिर से एक उच्चस्तरीय बैठक को बुलाया है । मोदी सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए बड़ा कदम उठाया है । फैसला हुआ है कि सरकार के 4 मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जा सकते हैं । इनमें हरदीप पुरी , वीके सिंह , ज्योतिरादित्य सिंधिया और किरण रिजिजू इन देशों में जाएंगे ।
यूक्रेन का दावा - रूसी सेना को भारी नुकसान
इस बीच यूक्रेन ने फिर से बड़ा दावा किया है कि उन्होंने रूस के करीब 4500 जवानों को मार गिया है , जबकि 130 टैंकों को भी ध्वस्त कर दिया है । इतना ही नहीं कई हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को मार गिराने का यूक्रेन ने दावा किया है ।
गैर-परमाणु स्थिति त्यागने के प्रस्ताव को मंजूरी
वहीं जनमत संग्रह करके बेलारूस ने अपनी गैर-परमाणु स्थिति को त्यागने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है । बता दें कि रविवार को बेलारूस में एक जनमत संग्रह ने देश की गैर-परमाणु स्थिति को खत्म करने वाले एक नए संविधान को मंजूरी दे दी । बेलारूस के केंद्रीय चुनाव आयोग के हवाले से खबर है कि 65.2 फीसदी लोगों ने देश की गैर-परमाणु स्थिति को खत्म करने के पक्ष में वोट किया।
पुतिन की न्यूक्लियर धमकी
यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों के साथ तनाव बढ़ने के कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के न्यूक्लियर फोर्स को ‘अलर्ट’ पर रहने का आदेश दिया है । शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक में पुतिन ने रविवार को इस पर जोर दिया कि नाटो के प्रमुख सदस्य देशों ने ‘आक्रामक बयान’ दिए हैं और पश्चिमी देशों ने उनपर और रूस के विरुद्ध कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं । पुतिन ने रूस के रक्षा मंत्री और ‘मिलिट्री जनरल स्टाफ’ के प्रमुख को आदेश दिया कि न्यूक्लियर फोर्स को ‘युद्ध संबंधी दायित्व के लिए तैयार रखा जाए।’
परमाणु निगरानी एजेंसी करेगी बैठक
व्लादिमीर पुतिन के रूसी परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखने के आदेश के बाद परमाणु निगरानी एजेंसी ने भी एक अहम बैठक करने का फैसला किया है । ये बैठक बुधवार को की जाएगी, जिसमें 35 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे । बोर्ड के सदस्य कनाडा और पोलैंड ने यूक्रेन के अनुरोध पर ये बैठक बुलाई है, जो बोर्ड में शामिल नहीं है ।
पुतिन का आदेश स्वीकार नहीं
इसी क्रम में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का रूस की न्यूक्लियर फोर्स, जिसमें परमाणु हथियार शामिल हैं, उन्हें हाई अलर्ट पर रखने के आदेश को स्वीकार नहीं किया जा सकता है । इसका मतलब ये है कि राष्ट्रपति पुतिन इस युद्ध को आगे बढ़ाना चाहते हैं और जिस तरह से वो बढ़ाना चाहते हैं वो अस्वीकार्य है । हमें उनके एक्शन को हर तरीके से रोकना होगा ।
अमेरिका नाटो देशों के साथ बैठक करेगा
इस बीच सूचना आई है कि अमेरिका ने नाटो देशों के साथ एक बैठक को बुलाया है । इस बैठक में रूस पर प्रतिबंध के साथ ही आगे की रणनीति और यूक्रेन को मदद करने के मामले में मंथन हो सकता है । इससे पहले भी नाटो देशों ने बैठक करते हुए रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है । इसी क्रम में EU ने रूसी विमानों के लिए एयरस्पेस बंद किया , जिसके उल्लंघन के आरोप भी अब लगाए जा रहे हैं ।