नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर भारत की आलोचना की है । संयुक्त राष्ट्र प्रमुख (UN Chief) ने गुरुवार को अपनी यात्रा के दौरान आईआईटी-बॉम्बे (IIT Bombay) में एक सभा को संबोधित किया । इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के लोगों और सरकार को चाहिए कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मूल्यों का अभ्यास करते रहे , ताकि समृद्ध विविधता वाले देश में सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा करके इसे मजबूत बनाया जा सके । वह बोले कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज समावेशिता और मानवाधिकारों के सम्मान के लिए मजबूत प्रतिबद्धता से ही अधिकार और विश्वसनीयता हासिल कर सकती है । इस दौरान उन्होंने भारत सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है ।
आईआईटी-बॉम्बे (IIT Bombay) में एक सभा को संबोधित करते हुए गुटेरेस ने कहा - मानवाधिकार परिषद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत पर वैश्विक मानवाधिकारों को आकार देने और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों सहित सभी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है । भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन की सराहना करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भारतीयों को "गांधी के मूल्यों" का अभ्यास करने और "सभी लोगों की गरिमा - विशेष रूप से सबसे कमजोर" को सुरक्षित और बनाए रखने के लिए प्रभावित किया ।
वह बोले - बहुसांस्कृतिक, बहु-धार्मिक और बहु-जातीय समाजों के विशाल मूल्य और योगदान को पहचानते हुए समावेश के लिए ठोस कार्रवाई" की आवश्यकता पर भी बल दिया । संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि "अभद्र भाषा की स्पष्ट रूप से निंदा करके और पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और शिक्षाविदों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करके" भारत को विविधता का पोषण करना चाहिए ।
उन्होंने कहा - मैं भारतीयों से सतर्क रहने और समावेशी, बहुलवादी, विविध समुदायों और समाजों में अपने निवेश को बढ़ाने का आग्रह करता हूं । भारत में, दुनिया भर में, लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकार को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है । यह एक नैतिक अनिवार्यता है और यह समृद्धि और स्थिरता के लिए एक गुणक भी है । कोई भी समाज महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और लड़कों के लिए समान अधिकारों और स्वतंत्रता के बिना अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच सकता है ।