नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली बसपा की सुप्रीमो मायावतकी को शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा झटका दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मायावती को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती ने कुछ साल पहले नोएडा में अपनी और कई हाथियों की मूर्ति बनवाकर एक पार्क में लगवा दीं। लेकिन इन मूर्तियों को बनवाने में मायावती ने जनता का जितना पैसा लगाया है उन्हें वह रकम वापस करनी चाहिए। सीजेआई ने अब इस मामले की सुनवाई के लिए 2 अप्रैल की अगली तारीख तय की है।
जनहित याचिका पर की टिप्पणी
बता दें कि उच्चतम न्यायालय में रविकांत और अन्य की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर शुक्रवार सुबह चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कोर्ट से मांग की थी कि बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा नोएडा के एक बड़े पार्क में अपनी और कई हाथियों की मूर्तियां बनवाकर लगवाईं। इस सब में जनता के पैसे का इस्तेमाल किया गया। अब मायावती को इन मूर्तियों पर खर्च पूरी रकम सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए।
CJI मायावती के वकील से बोले- बता देना
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कोर्ट में मौजूद मायावती के वकील को संबोधित करते हुए कहा कि अपने मुवक्किल को कह देना कि वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं। यहा बता दें कि वर्ष 2015 में भी सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की सरकार से नोएडा के एक पार्क में लगी मूर्तियों पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था।
मायावती के शासनकाल में लगीं मूर्तियां
बता दें कि यूपी की मुख्यमंत्री होने के दौरान मायावती ने नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां जबकि कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई थीं। इसमें बसपा के संस्थापक काशीराम समेत मायावती की भी मूर्ति बनी थी। इस सब में करीब 685 करोड़ का खर्च आया था।