नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए जम्मू कश्मीर में लंबे समय तक धारा 144 लागू करने और इंटरनेट पर पाबंदी लगाने संबंधी फैसले पर बयान दिया । शीर्ष अदालत ने घाटी में इंटरनेट बैन और अन्य तरह की पाबंदियों के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बिना वजह के पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती । कोर्ट ने कहा - लंबे वक्त तक पाबंदियों की कोई पुख्ता वजह होनी चाहिए । इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है । यह आर्टिकल 19 के तहत आता है । इसके साथ ही कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में धारा 144 पर कहा कि देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू रखना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है । इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने सभी फैसलों को सार्वजनिक करे। हालाकि इस दौरान कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह जम्मू कश्मीर की राजनीति में कोई दखल नहीं देगी ।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की । इस दौरान कोर्ट ने कहा इंटरनेट पर पाबंदी सिर्फ उसी स्थिति में लगाया जाय जब ऐसा करना अपरिहार्य हो । इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता , साथ ही इस तरह के प्रतिबंध की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि जहां इंटरनेट का दुरुपयोग कम है वहां सरकारी और स्थानीय निकाय में इंटरनेट की सेवा शुरू की जाए । इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को ई बैंकिंग सेवाएं शुरू करने पर विचार करने को कहा है ।
विदित हो कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था । इसके साथ ही केंद्र ने राज्य में इंटरनेट बैन, कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर दिया था । इसके विरोध में घाटी से लेकर दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन हुए हैं ।