नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ स्पीकर सीपी जोशी (CP Joshi) की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की याचिका पर सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि असंतोष दबाने से लोकतंत्र खत्म हो जाएगा । चुने गए विधायकों को असहमति का अधिकार है । वहीं कांग्रेस के बागी विधायकों की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होनी है । हाईकोर्ट ने 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी थी , जिसके विरोध में स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था ।
सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर सीपी जोशी की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की । इस दौरान उन्होंने मांग की कि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा स्पीकर के फैसले में दखल देना सही नहीं है । ऐसे में सुप्रीम कोर्ट आदेश देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दे । इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता । फिर तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा । आखिरकार वे विधायक लोगों द्वारा चुने गए हैं । क्या वे अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते?
कोर्ट की इस टिप्पणी पर कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि उन्हें समझाना पड़ेगा, यह स्पीकर ही तय करेंगे, कोई कोर्ट नहीं । इस पर कोर्ट ने कहा कि यह मात्र एक दिन की ही तो बात है , आप इंतजार क्यों नहीं कर सकते?, इतना ही नहीं कोर्ट ने स्पीकर के वकील सिब्बल से पूछा कि इंट्रा-पार्टी लोकतंत्र पर आपका क्या विचार है? क्या पार्टी की बैठक में भाग लेने के लिए व्हिप जारी किया जा सकता है?
इस पर सिब्बल बोले - स्पीकर सीपी जोशी ने बैठक के लिए व्हिप जारी किया, यह केवल एक नोटिस था, व्हिप नहीं, लेकिन यह एक बैठक में शामिल नहीं होने से ज्यादा यह उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में है ।
इस दौरान सिबल ने सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य मामले में हाल ही में दिए गए आदेश का हवाला दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को एक उचित समय में फैसला लेने का आग्रह किया था, न कि स्पीकर को कोई आदेश या स्पीकर को तय तारीख़ पर अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करने या रोकने के लिए कहा गया था ।
इतना ही नहीं सिब्बल ने राजस्थान विधानसभा के स्पीकर का पक्ष रखते हुए कहा कि स्पीकर के फैसले से पहले कोर्ट का दखल गलत है ।