कोलकाता । लोकसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन में आई गिरावट के चलते राज्य के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी काफी नाराज है । वर्ष 2014 के आम चुनावों में जहां टीएमसी ने 42 लोकसभा सीटों में से 34 पर कब्जा किया था वहीं इस बार भाजपा ने उनके एक छत्रराज को तोड़ते हुए 18 सीटें अपने नाम की हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा की जीत कितनी बड़ी है , इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा को राज्य में बस 2 सीटें मिली थीं । बहरहाल, अपने खराब प्रदर्शन के चलते जहां शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश की, उसके बाद तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में राज्य में मिली करारी शिकस्त पर इस्तीफे की पेशकश की है ।
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कोलकाता में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने कहा, 'पार्टी की बैठक शुरू होते ही मैंने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में अब काम नहीं करना चाहती हूं । उन्होंने कहा, 'केंद्रीय शक्तियां हमारे खिलाफ काम कर रही हैं। आपातकाल की स्थिति पूरे देश में तैयार की गई है । समाज को हिंदू मुस्लिम में बांट दिया गया है। हमने चुनाव आयोग से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई ।'
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विदित हो कि टीएमसी प्रमुख का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में भाजपा ने 18 सीटें जीतने के साथ ही अपने वोट प्रतिशत में दोगुने से भी ज्यादा का इजाफा किया है । वर्ष 2014 के चुनावों में जहां भाजपा को 17 फीसदी वोट के साथ सिर्फ 2 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार भाजपा को 40.5 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 18 सीटें मिली हैं। इतना ही नहीं खास बात ये भी है कि जिन सीटों पर टीएमसी के उम्मीदवार जीते, उन सीटों पर भी लेफ्ट के बजाए भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे ।
बहरहाल, ऐसे समय में जब राज्य में भाजपा ने अपना विस्तार किया है और अपने वोट बैंक प्रतिशत को बढ़ाने में सफलता पाई है, ऐसे समय में ममता का अपने पद से इस्तीफे की पेशकश राज्य की राजनीति को और गर्माने के लिए काफी है ।