लखनऊ/ नई दिल्ली । पेट्रोल-डीजल की आसमान छू रही कीमतों के विरोध में कांग्रेस के नेतृत्व में बुलाए गए भारत बंद का सोमवार को देश की 21 पार्टियों ने समर्थन किया। इस दौरान कथित महागठबंधन के कई दल जहां इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए राहुल गांधी के साथ रामलीला मैदान पर बने मंच पर बैठे नजर आए, वहीं पहले इस कथित गठबंधन से दूरी बनाने वाली कुछ पार्टियों के नेता भी इस बार इस मंच पर दिखाई दिए। लेकिन इस सब के बीच जहां टीएमसी ने बंद का समर्थन करने से मना कर दिया, वहीं विपक्षी एकता के इस मंच पर इस बार न तो समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि दिखे, न ही बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने ही शिरकत की। इस सब के बाद यूपी में लोकसभा चुनावों को लेकर गठबंधन की नई परिभाषा गढ़ती दिखाई दे रही है।
सपा-बसपा के नेता मंच से नदारद
बता दें कि मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कर्नाटक में जिस महागठबंधन की शक्ति को विपक्षी दलों ने एकता के रूप में दिखाया था, उसके बाद एक बार फिर से विपक्षी दलों ने रामलीला मैदान से शक्ति दिखाई। हालांकि इस बार इस मंच पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नदारत रहे, वहीं बहुजन समाज पार्टी की मायावती समेत उनका कोई प्रतिनिधि ही नजर आया। हालांकि यूपी में सपा ने अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द करते हुए बंद का समर्थन जरूर किया।
विपक्षी दलों ने एक-एक कर साधा निशाना
इससे इतर रामलीला मैदान पर मौजूद विभिन्न दलों के नेताओं ने मोदी सरकार पर हल्ला बोलते हुए सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। इस दौरान नेताओँ ने कहा कि यूपीए की सरकार के दौरान मोदी पूरे देश में घूम घूमकर तेल की कीमतों को लेकर हल्ला करते देखे जाते थे। लोगों से कहा करते थे कि तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और सरकार कुछ नहीं कर रही हैं, लेकिन आज स्थिति उससे भी बदतर कर दी गई है। आज पेट्रोल 80 रुपये को छू रहा है, गैस के दाम 800 रुपये तक पहुंचने जा रहे हैं। पहले लोगों को कहते फिरते थे कि हमारी सरकार आएगी तो राहत लाएगी, लेकिन मोदी सरकार के आने पर लोगों को राहत तो छोड़ो आफत ज्यादा नजर आ रही है।