नई दिल्ली । लोकसभा में सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिक संशोधन बिल पेश किया । सदन में बिल को लेकर जमकर हंगामा हुआ , जिसके चलते बिल को पेश करने के लिए वोटिंग हुई , जिसमें सरकार के पक्ष में 293 वोट पड़े , जबकि विपक्ष के पक्ष में मात्र 82 वोट पड़े । हालांकि इससे पहले जब इस बिल को पेश करने पर विपक्ष जमकर हंगामा कर रहा था तो अमित शाह ने कांग्रेस समेत अन्य दलों को जमकर आड़े हाथ लिया । विपक्ष द्वारा आरोप लगाए जाने कि यह बिल समानता के अधिकार का हनन है । अमित शाह ने कहा - यह बिल न तो देश के अल्पसंख्यों के खिलाफ है , न ही इससे समानता के अधिकार पर कोई असर पड़ेगा ।
उन्होंने कहा - अल्पसंख्यों को कई अधिकार दिए गए हैं , वहां समानता का अधिकार लागू क्यों नहीं किया जाता । उन्होंने कहा - 1971 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेशियों को भारत आने दिया और उन्हें नागरिकता दी । लेकिन पाकिस्तान से आए हिंदुओं को नागरिकता क्यों नहीं दी गई। कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता क्यों नहीं दी ।
अमित शाह ने कहा - इस बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के संबंध में प्रावधान किया गया है । इस संदर्भ में अमित शाह ने कहा कि इस बिल को समझने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान को देखना होगा । विपक्ष के हमले पर अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन किया ।
अमित शाह ने इस दौरान साफ कहा कि इस बिल में मुस्लिमों को इसलिए नहीं रखा गया है क्योंकि उनके साथ कोई धार्मिक प्रताड़ना नहीं हुई है । धर्म के आधार पर इस देश का विभाजन कांग्रेस पार्टी ने की। पाकिस्तान , अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के चलते भारत भागकर आए हिंदू , ईसाई और सिख पारसी, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों को नागरिकता संशोधन बिल 2019 के तहत भारत काी नागरिकता दी जाएगी ।