पटना । बिहार के विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल को करारा झटका लगा है । जेल में बंद लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत बचाने के लिए यूं तो काफी जुगत लगाई जा रही है , लेकिन इस मुहिम को उस समय झटका लगा जब पार्टी के 5 विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) ने पार्टी का दामन छोड़ते हुए जदयू में शामिल हो गए हैं । इतना ही नहीं इससे भी बड़ी आफत पार्टी पर उस समय आई है , जब पार्टी के उपाध्यक्ष और लालू की गैरमौजूदगी में उनके बेटों के साथ खड़े नजर आने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है । कहा जा रहा है कि एक समय लालू यादव के करीबी लोगों में शुमार ये बातों इन दिनों तेजस्वी यादव के नेतृत्व से बहुत नाराज थे।
विदित हो कि चुनावों की सुगबुगाहट तेज होने के साथ ही जदयू के 5 एमएलसी ने पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया है । इन नेताओं में शामिल हैं , संजय प्रसाद, कमरे आलम, राधाचरण सेठ, रणविजय सिंह और दिलीप राय । विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इसकी पुष्टि की है । इसके साथ ही पार्टी उपाध्यक्ष रघुंवंश प्रसाद सिंह के भी अपना पद छोड़ने से पार्टी में एक नई बहस शुरू हो गई है ।
असल में पार्टी के लिए खराब बात यह है कि एक समय ये पांचों नेता राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी थे । ऐसी खबरें हैं कि ये सभी आरजेडी की मौजूदा वंशवाद की राजनीति और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से परेशान थे । असल में 7 जुलाई को विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं , जिसमें आरजेडी की ओर से तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया जा सकता है । RJD के पास मौजूद विधायकों की संख्या के आधार पर 9 में से तीन सीटों पर उसकी जीत पक्की है । ऐसे में तेज प्रताप यादव की भी जीत पक्की है । तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेजे जाने से कई नेता नाराज हैं ।