नई दिल्ली । अमूमन विवादों में रहने वाले बिहार बोर्ड पर एक और काला धब्बा लग गया है। बोर्ड की 10वीं की परीक्षा के परिणाम बुधवार 20 जून को आने वाले हैं, लेकिन इससे पहले शिक्षा बोर्ड नए विवाद में घिर गया है। असल में 10वीं बोर्ड के 25 टॉपरों की कॉपियां बोर्ड ने एक बार फिर से देखने के लिए निकलवाईं थी, लेकिन इस दौरान सामने आया कि छात्रों की करीब 42 हजार कॉपियां खो गई हैं। इस सब के बाद अब इन कॉपियों के खोए जाने की शिकायत पुलिस से की गई है, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। वहीं टॉपरों को रिजल्ट से पहले वेरीफिकेशन के लिए बुलाए जाने को लेकर भी बोर्ड की अब किरकिरी हो रही है। बोर्ड ने 17 जून को बोर्ड ऑफिस में इस बार के टॉप-25 छात्रों को फोन करके वेरिफिकेशन के लिए बुलाया था, अब ये छात्र बिहार समेत देश के विभिन्न कोनों से बोर्ड ऑफिस पहुंच रहे हैं, क्योंकि इन्हें चेतावनी दी गई थी कि अगर वो बोर्ड ऑफिस नहीं पहुंचे तो उनका रिजल्ट रोक दिया जाएगा।
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सतर्कता के लिए मांगी थीं टॉपरों की कॉपी
असल में बिहार बोर्ड बुधवार 20 जून को 10वीं की परिणाम घोषित करने जा रहा है, लेकिन पुराने विवादों को ध्यान में रखते हुए और सतर्कता के मद्देनजर इस बार बोर्ड ने टॉप-25 छात्रों की कॉपियां जांच के लिए मंगवा लीं। जांच होने के बाद इन छात्रों को भी बोर्ड ऑफिस आने के लिए कहा गया है, लेकिन इस सारी कवायद के बीच एक विवाद गहरा गया है। खबरें आईं कि 10वीं बोर्ड के छात्रों की करीब 42 हजार कॉपियां खो गई हैं, जिसके चलते बोर्ड की काफी किरकिरी हो रही है।
एफआईआर हुई दर्ज
गोपालगंज स्थित बोर्ड के स्ट्रांग रूप में रखी 42 हजार कॉपियां गायब होने के बाद बोर्ड के अफसरों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं। पुराने विवादों के चलते सरकार की नजर में रहने वाले बोर्ड की एक और लापरवाही बड़े फेरबदल के संकेत दे रहे हैं। बहरहाल, बोर्ड अधिकारियों ने कॉपी खोने की शिकायत दर्ज करवा दी है, जिसके बाद जांच जारी है।
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छात्रों को वेरिफिकेशन के लिए बुलाया
वहीं बोर्ड ने सतर्कता के मद्देनजर टॉप 25 समेत जिन बच्चों को बुलाया है, उनमें से अभी तक मात्र 130 छात्र की बोर्ड के समक्ष पेश हुए हैं। असल में बोर्ड ने परिणाम घोषित करने से पहले टॉपरों समेत 400 से ज्यादा अंक लाने वाले छात्रों के वेरिफिकेशन की मुहिम चलाई है। इन छात्रों को 17 जून तक बोर्ड ऑफिस पहुंचने के लिए कहा गया था, लेकिन इनमें से कई छात्र इन दिनों राज्ये से बाहर थे। वहीं राज्य के विभिन्न कोनों से भी छात्रों के आने का क्रम जारी है।
विवादो से है पुराना नाता
यह पहला मौका नहीं है जब बिहार बोर्ड अपने परीक्षा परिणामों को लेकर विवादों में रहा हो। पिछले कुछ सालों से ऐसे छात्र टॉपर के रूप में सामने आए हैं जो या तो अपने विषयों के नाम ही नहीं जानते थे, या 42 साल की उम्र में बोर्ड परीक्षा देते हुए टॉपर बन रहा था, जबकि प्रमाण पत्रों में उसकी जन्मतिथि काफी कम दर्ज हुई थी। ये हैं कुछ विवादित प्रकरण...
-वर्ष 2018 में ही इस बार जो 12वीं की टॉपर बनीं कल्पना कुमारी की उपस्थिति को लेकर भी विवाद गहरा गया है।
-इसके साथ ही कुछ दिन पहले खबर आई थी कि बिहार की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में विद्यार्थियों को 40 में 47 अंक मिले थे व कुछ विद्यार्थी ऐसे भी थे जिन्होंने बताया था कि परीक्षा में उपस्थित न होने पर भी उन्हें पास कर दिया गया।
-इन सभी मामलों के साथ यह भी खबरे आ रही है कि 10वीं के 30 हजार छात्रों की अटेंडेंस में गड़बड़ी है।
फिर से उठा सवालिया निशान
लगातार होती इन लापरवाहियों से बिहार बोर्ड एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ खड़ा हुआ है। अब सवाल ये है कि जंहा कल परीक्षा परिणामों की घोषणा की बात कही गई थी अब 42 कॉपियां न मिलने पर परीक्षा परिणामों को किस प्रकार घोषित किया जाएगा।