नई दिल्ली । पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद और कैफे कॉफी डे (Cafe Coffee Day) के मालिक वीजी सिद्धार्थ मंगलवार सुबह अचानक लापता हो गए हैं। प्रारंभिक जांच में अब तक सामने आया है कि सिद्धार्थ 29 जुलाई को मंगलुरु आ रहे थे । इस दौरान सोमवार शाम 6.30 बजे वह अपनी गाड़ी से उतरे और टहलने लगे । इस दौरान ही वह लापता हो गए । इसके बाद से उनका मोबाइल भी बंद आ रहा है । इस हाई प्रोफाइल मामले को देखते हुए पूरा पुलिस महकमा उनकी तलाश में जुट गया है । बताया जा रहा है कि CCD पर मार्च 2019 तक 6547.38 करोड़ रुपये का कर्ज था । उनकी तलाश के लिए डॉग स्क्वायड की मदद ली जा रही है । इतना ही नहीं जिस पुल पर उन्होंने अपनी कार रुकवाई थी, उससे करीब 600 मीटर दूरी पर ही समुद्र है और सोमवार रात को हाईटाइड भी आया था। ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका के चलते भी जांच की जा रही है। इतना ही नहीं पुलिस के नीचे नदी थी, जहां गोताखोर सर्च ऑपरेशन चला रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक , वीजी. सिद्धार्थ ने आखिरी बार अपनी कंपनी के CFO से 56 सेकेंड के लिए बात की थी, जिसमें उन्होंने अपने CFO को कंपनी का ख्याल रखने के लिए कहा था । जिस वक्त वह अपने CFO से फोन पर बात कर रहे थे, तो काफी निराश थे । CFO से बात करने के बाद उन्होंने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया था ।
बहरहाल , एक तरफ लापता सिद्धार्थ की तलाश में दक्षिण कन्नड़ पुलिस जुटी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी एसएम कृष्णा के आवास पर पहुंचे और मामले की पूरी जानकारी ली ।
इतना ही नहीं सिद्धार्थ को खोजने के लिए कर्नाटक पुलिस ने नेत्रावती नदी में कई बोट और गोताखोरों की पूरी टीम उतार दी है जो तलाशी अभियान चला रही है ।
इस मामले में ड्राइवर बसवराज पटेल का कहना है कि मैं सिद्धार्थ के लिए 3 साल से ड्राइविंग कर रहा हूं। सुबह 8 बजे मैं बेंगलुरु उनके घर गया, पहले विठ्ठल माल्या ऑफिस गए और फिर दोपहर 12.30 बजे उन्होंने सकलेशपुर ले जाने को कह।. हम इनोवा में जा रहे थे, लेकिन उन्होंने फिर मेंगलुरु जाने को कहा। इस दौरान ड्राइवर ने बताया कि केरल हाइवे के पास जब हम 3-4 किमी. अंदर गए थे, तो उन्होंने पुल के पास गाड़ी रोकने को कहा । उन्होंने मुझे वहां पर ही रुकने को कहा और बताया कि वह थोड़ा टहल कर आ रहे हैं । जब रात 8 बजे जब मैंने उन्हें फोन किया तो उनका फोन बंद था। बाद में मैंने उनके बेटे को फोनकर बताया ।
विदित हो कि कैफे कॉफी डे के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ का नाता ऐसे परिवार से है जिसका जुड़ाव कॉफी की खेती की 150 वर्ष पुरानी संस्कृति से है। उनके परिवार के पास कॉफी के बागान थे, जिसमें महंगी कॉफी उगाई जाती थी । यह व्यापार के लिए सहायक हुआ, जो बाद में परिवार के लिए एक सफल व्यापार के रूप में स्थापित हुआ ।
कैफे कॉफी डे की शुरुआत जुलाई 1996 में बेंगलुरू के ब्रिगेड रोड से हुई । पहली कॉफी शॉप इंटरनेट कैफे के साथ खोली गई । जैसे-जैसे व्यवसायिक इंटरनेट अपने पैर फैलाने लगा, सीसीडी ने अपने मूल व्यवसाय कॉफी के साथ रहने का फैसला किया और देशभर में कॉफी कैफे के रूप में बिजनेस करने का निर्णय लिया । शुरुआती 5 सालों में कुछ कैफे खोलने के बाद सीसीडी आज देश की सबसे बड़ी कॉफी रिटेल चेन बन गई है । इस समय देश के 247 शहरों में सीसीडी के कुल 1,758 कैफे हैं ।