नई दिल्ली । तिब्बत की गलवान घाटी के हुई हिंसा में जहां भारत के 20 जवान शहीद हुए, वहीं चीनी सैनिकों ने भारत के 10 जवानों को बंधक बना लिया था । इस सबके चलते भारत ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सीमा पर हलचल तेज कर दी थी । भारत के रुख और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते चीन ने बंधक बनाए गए 10 भारतीय सैनिकों को गुरुवार शाम रिहा कर दिया है । बंधक बनाए गए जवानों में दो सैन्य अफसर भी शामिल थे। जवानों की रिहाई के बाद शुक्रवार को दोनों देशों के बीच कोई बातचीत नहीं होने थी लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों ओर से बातचीत शुरू हो सकती है । हालांकि स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है ।
भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय ने गुरुवार शाम कहा था कि हिंसा के बाद से अब कोई भी जवान न तो लापता है और न ही बंधक है । हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के मेजर जनरल ने लगातार तीन दिनों तक बैठक की और बंधक बनाए गए भारतीय जवानों की रिहाई पर बात हुई । हालांकि, अभी साफ नहीं कि भारतीय जवानों की रिहाई किस शर्त या आधार पर हुई है ।
वहीं सूत्रों के मुताबिक, 18 घायल सैनिकों का लेह के मिलिट्री अस्पताल में इलाज चल रहा है । ये जवान 15 दिन बाद ड्यूटी ज्वॉइन कर लेंगे । 58 घायल सैनिक अन्य अस्पतालों में भर्ती हैं। ये मामूली रूप से घायल हैं और एक सप्ताह बाद ड्यूटी ज्वॉइन कर लेंगे ।
भले ही भारत के बंधक बनाए गए जवानों को चीन ने छोड़ दिया हो , लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी बरकरार है । गलवान घाटी और पैंगॉन्ग झील के पास दोनों देशों की ओर से अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है । यह वही इलाका है, जहां 5 मई को दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थी और झड़प हुई थी ।
विदित हो कि 15 जून की रात को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं की बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसलिए यहां माहौल तनावपूर्ण है, लेकिन पैंगॉन्ग झील के बाद चाइनीज कैंप लग जाने के बाद वहां भी तनाव की स्थिति है । यह इलाका भारत के कंट्रोल में रहता था, लेकिन चीन ने यहां अपना कैंप लगा लिया है ।