नई दिल्ली । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं । उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा - राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन ये पैसा एक समिति के जरिए खर्च हो रहा है। समिति के सदस्यों को पता ही नहीं कि वो उसके सदस्य हैं। क्या देश को ये जानने का हक नहीं कि किस मंत्रालय ने समिति को कितना पैसा दिया? समिति की आँड़ में सरकार क्या छिपा रही है? हालांकि इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक पत्रकार वार्ता में सवाल उठाए थे कि आखिर ट्रंप एक निजी दौरे पर आ रहे हैं तो उनपर इतना सरकारी धन क्यों खर्च किया जा रहा है ।
विदित हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आ रहे हैं , जिसमें वह अपनी पत्नी के संग ताजमहल देखने भी जाएंगे । उनके भारत दौरे पर ऐतिहासिक स्वागत की तैयारियों का जिक्र खुद ट्रंप ने अपने दौरे से पहले अमेरिका में दिए एक बयान में किया । जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में लाखों लोग उनके स्वागत के लिए तैयार हैं ।
भले ही उनके भारत दौरे को लेकर उनकी पत्नी की ड्रेस को लेकर कई तरह की खबरें चर्चाओं में हैं , वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अब इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है । प्रियंका ने एक मीडिया हाउस की खबर का हवाला देते हुए लिखा है कि आखिर राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपये क्यों खर्च हो रहे हैं। उन्होंने लिखा कि यह पैसा एक समिति के जरिए खर्चा किया जा रहा है , जिसके सदस्यों को इन सब बातों का पता ही नहीं है कि वे समिति के सदस्य हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि क्या देश को ये जानने का हक नहीं कि किस मंत्रालय ने समिति को कितना पैसा दिया? समिति की आँड़ में सरकार क्या छिपा रही है?
विदित हो कि ट्रंप की भारत यात्रा के लिए दौरान नमस्ते ट्रंप अभियान में करीब 85 से 100 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही जा रही है । इसके लिए एक ट्रंप नागरिक अभिनंदन समिति बनाई गई है । खबरों के अनुसार , यह कार्यक्रम न तो मोदी सरकार करवा रही है न ही इसे अमेरिकी सरकार करवा रही है , ऐसे में सरकारी धन इसमें खर्ज नहीं हो रहा है , लेकिन कार्यक्रम के लिए समिति बनाई गई है , जिसमें किरीट सोलंकी को समिति का सदस्य बनाया गया है , लेकिन उनका कहना है कि उन्हें भी इस समिति का सदस्य होने की बात बाद में ही पता चली । उन्हें और उनके साथ अन्य समिति सदस्यों को इस बात की जानकारी नहीं है कि इस समिति के पास कार्यक्रम करने के लिए धन कहां से आएगा ।