नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों लॉकडाइन के दौरान अपने एक संबोधन में देशवासियों से देश को ''आत्मनिर्भर भारत '' बनने का आह्वान किया था । इसी क्रम में सरकार भी आगे बढ़ रही है । यही कारण है कि अब भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए अब असॉल्ट राइफल, आर्टिलरी गन, रडार, हल्के जंगी हेलिकॉप्टर समेत करीब 101 रक्षा सामानों को अब भारत में ही बनाने का फैसला किया है । अब तक ये रक्षा उत्पाद भारत आयात करवाता था । भारत ने इन 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक भी लगा दी है । हालांकि भारत सरकार ने इस रोक को चरणबद्ध तरीके से 2025 तक पूरी तरह लागू करने का ऐलान किया ताकि तब तक भारत खुद इन सभी रक्षा उत्पादों का उत्पादन शुरू दे। सरकार का कहना है कि इस फैसले से देश में रोजगार के कई अवसर भी पैदा होने वाले हैं ।
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी । उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने 12 मई 2020 को देशवासियों कोसंबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया था । पीएम की इस अपील पर काम करते हुए सैन्य मामलों के मंत्रालय (DMA) और रक्षा मंत्रालय ने 101 सामानों की लिस्ट बनाई है और इनके आयात पर रोक लगाई है । 101 उपकरणों और हथियारों की सूची में से 69 के आयात पर तो दिसंबर 2020 से ही रोक लग जाएगी ।
मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारत खुद आर्टिलरी गन, जमीन से हवा में मार करने वाली छोटी दूरी की मिसाइलें, शिप से छोड़ी जा सकने वाली क्रूज मिसाइलें, असॉल्ट राइफल, हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर, रडार, बैलेस्टिक हेलमेट, बुलेट प्रूफ जैकेट और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को बनाने की ओर कदम बढ़ाएगा , इतना ही नहीं सरकार ने इनके आयात पर भी चरणबद्ध तरीके से रोक लगाने का ऐलान कर दिया है ।
राजनाथ सिंह ने इस ऐलान से पहले कहा कि रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगाने से पहले इस पर मंथन किया गया है कि सेना की ऑपरेशनल एक्टिविटी प्रभावित न हो और इन सामानों को तय समयसीमा के तहत भारत में ही तैयार किया जा सके ।
विदित हो कि दिसंबर 2021 के बाद भारत व्हील्ड आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल, लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल, माइन एंटी टैंक, माइन एंटी पर्सनेल ब्लास्ट, ग्रेनेड जैसे उच्च तकनीक के आयात पर भी रोक लगा देगा और इसका देश में ही उत्पादन शुरू कर देगा ।बता दें कि सरकार ने रक्षा उत्पादों के आयात पर चरणबद्ध तरीके से रोक लगाने का फैसला इसलिए लिया है ताकि किसी भी हालत में सेना की कार्यक्षमता प्रभावित न हो।