नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मध्यस्थता को लेकर दिए बयान से जहां भारत में विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं, वहीं अमेरिका में ट्रंप की भी जमकर फजीहत हो रही है । इस सब के बीच अमेरिकी दौरे पर गए पाकिस्तान पीएम इमरान खाने ने अमेरिकी सांसदों को संबोधित करते हुए ऐसा खुलासा कर दिया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। इमरान खान अमेरिकी सांसदों को संबोधित करते खुलासा किया कि पाकिस्तान की सीमा के भीतर 40 विभिन्न आतंकी संगठन सक्रिय थे । उन्होंने कहा कि अब से पहले की सरकारों ने अमेरिका से इस तथ्य को छिपाया है । पुलवामा आतंकी हमले के बारे में इमरान खान ने कहा कि ये एक ऐसा मामला था जिसे स्थानीय आतंकियों ने अंजाम दिया था। उन्होंने दावा किया कि जैश-ए-मोहम्मद ना सिर्फ पाकिस्तान में मौजूद है, बल्कि कश्मीर में भी है और वहां से काम करता है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, कैपिटल हिल में अमेरिकी सांसदों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने अमेरिका की अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई और आतंकी संगठन अल-कायदा के बारे में कहा, ''हम आतंक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ थे । अमेरिका पर हुए 9/11 आतंकी हमले में पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं थी । अल-कायदा, अफगानिस्तान में सक्रिय था। पाकिस्तान में तालिबानी संगठन नहीं था । इसके बावजूद हमने युद्ध में अमेरिका का साथ दिया । दुर्भाग्य से जब चीजें गलत दिशा में चली गईं तो मैंने पाकिस्तानी सरकार की आलोचना इसलिए की क्योंकि हमने अमेरिका को वास्तविक जमीनी सच्चाई से रूबरू नहीं कराया ।
हमारी सरकार के नियंत्रण में नहीं थे संगठन
इस दौरान इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने अब से पहले अमेरिका को शायद इसकी जानकारी इसलिए न दी हो, क्योंकिन इन आतंकी संगठनों पर हमारी सरकार का भी कोई नियंत्रण नहीं था । उस वक्त पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर 40 विभिन्न आतंकी संगठन सक्रिय थे। इसके साथ ही इमरान खान ने जोड़ा, ''सो, पाकिस्तान ऐसे मोड़ पर पहुंच गया जहां हमारे जैसे लोग इस बात के लिए चिंतित थे कि क्या हमारा अस्तित्व भी बचेगा? ऐसे में जहां अमेरिका हमसे अफगानिस्तान के खिलाफ जंग में और अधिक सहयोग की अपेक्षा कर रहा था, वहीं पाकिस्तान उस वक्त अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था।''
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पाकिस्तान को पता था ओसामा उनकी धरती पर है
इससे इतर अमेरिका में दिए एक साक्षात्कार में इमरान खान ने माना कि पाकिस्तान को ओसामा बिन लादेन के उनके देश में होने का पता था । पाकिस्तान की खुफिया सेवा इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को जानकारी मुहैया कराई थी, जिसकी मदद से अमेरिका अल कायदा प्रमुख लादेन तक पहुंचा था । हालांकि उनकी यह टिप्पणी पूर्व में पाकिस्तानी सरकार के उन बयानों से उलट थी, जिसमें 2 मई 2011 को एबटाबाद में अमेरिकी विशेष बलों द्वारा रात के समय लादेन को गोलियों से भून देने तक उसे ओसामा बिन लादेन के ठिकाने की कोई जानकारी नहीं थी ।
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