नई दिल्ली । रेलयात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए आरक्षित सीट दिलाने हेतु केंद्र की मोदी सरकार कुछ खास करने जा रही है । अमूमन लोगों की शिकायत रहती है कि लोगों को अपनी रेल यात्रा काफी समय पहले प्लान करनी पड़ती है , नहीं तो उन्हें आरक्षित सीट नहीं मिल पाती । ऐसे में अब रेलयात्रियों को सुविधाएं देने के लिए रेलवे अक्टूबर से ट्रेनों में रोजाना अतिरिक्त चार लाख सीटें बढ़ाने जा रही है । यह सब एक नई तकनीक की मदद से होने जा रहा है, जिसके जरिए ट्रेन में ओवरहेड तार से बिजली सप्लाई की जाएगी । ऐसे में जनरेटर कोच की जगह स्लीपर कोच लगेंगे। वहीं इस दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि भारतीय रेलवे के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि रेलगाड़ियों के परिचालन के लिए निजी कंपनियों की भागीदारी समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
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अभी ट्रेन में लगे होते हैं दो जनरेटर कोच
रेलवे के अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जल्द ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को आरक्षित सीट दिए जाने की व्यवस्था लागू होगी । रेलवे अक्टूबर से ट्रेनों में रोजाना अतिरिक्त 4 लाख सीटें बढ़ा देगी । असल में अभी ज्यादातर ट्रेनों में 2 जनरेटर कोच लगे होते हैं , जिसमें से एक से डिब्बों में बिजली सप्लाई की जाती है तो दूसरे को रिजर्व रखा जाता है । लेकिन अब एक नई तकनीक की मदद ली जाएगी , जिसके जरिए ट्रेन में ओवरहेड तार से बिजली सप्लाई की जाएगी । भारतीय रेल की इन नई तकनीक को 'हेड ऑन जनरेशन' कहा जाता है । इसमें इलेक्ट्रिक इंजन को जिस ओवरहेड तार से बिजली की सप्लाई की जाती है, उसी तार से डिब्बों में भी बिजली दी जाएगी। पैंटोग्राफ नामक उपकरण लगाकर इंजन के जरिए ही ओवरहेड तार से डिब्बों में बिजली सप्लाई की जाएगी। इससे ट्रेन में जनरेटर कोच की जरूरत नहीं रह जाएगी। हालांकि, आपात स्थिति के लिए एक जनरेटर कोच ट्रेन में लगा रहेगा। एक जनरेटर कोच की जगह स्लीपर कोच लगाया जाएगा। इस तरह ट्रेन की लंबाई बढ़ाए बिना ही एक कोच बढ़ जाएगा।
अक्तूबर तक तैयार होंगे 5 हजार डिब्बे
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, अक्टूबर तक पांच हजार डिब्बों को इस नई तकनीक से बदल दिया जाएगा। इससे ट्रेन में सीटें तो बढ़ेंगी ही रेलवे को डीजल के मद में खर्च किए जाने वाले सालाना छह हजार करोड़ रुपये की बचत भी होगी। नई तकनीक पर्यावरण के अनुकूल भी होगी, क्योंकि न तो इससे ध्वनि प्रदूषण होगा और न वही वायु प्रदूषण। इससे हर ट्रेन से कार्बन उत्सर्जन में भी हर साल 700 टन की कमी आएगी।
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बढ़ेगी रेलवे की कमाई भी
रेलवे का कहना है कि इस नई तकनीक की मदद से भारतीय रेव को आने वाले समय में ज्यादा कमाई भी होगी । रेलवे को 2018-19 में माल ढुलाई से 1.27 लाख करोड़ की कमाई हुई थी, जबकि 2017-18 में 1.17 लाख करोड़ और 2016-17 में 1.04 लाख करोड़ की कमाई हुई थी।
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