Saturday, April 20, 2024

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गृहमंत्री शाह ने मणिपुर समेत नार्थ ईस्ट राज्यों को दिया ‘ILP’ का भरोसा, जानें इस इनर लाइन परमिट के बारे में

अंग्वाल न्यूज डेस्क
गृहमंत्री शाह ने मणिपुर समेत नार्थ ईस्ट राज्यों को दिया ‘ILP’ का भरोसा, जानें इस इनर लाइन परमिट के बारे में

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार के नागरिक संशोधन विधायक को लोकसभा में तो पास करवा लिया है , लेकिन राज्यसभा में भी उन्हें परीक्षा देनी है । इससे इतर , इस विधेयक को लेकर देश के नार्थ ईस्ट में विरोध देखने को मिल रहा है । लोगों की आशंकाओं के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद से लोगों को भरोसा दिलाया कि इन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है । उन्होंने मणिपुर को इनर लाइन परमिट यानी आईएलपी के दायरे में लाने की बात कही , जिसके चलते वहां आंदोलन कर रही मैनपैक ने अपने आंदोलन को स्थगित क दिया था , लेकिन गुवाहटी से लेकर देश के अन्य कई राज्यों में इस विधेयक को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है ।

तो चलिए इस सब के बीच समझते हैं कि आखिर क्यों इस विधेयक का विरोध हो रहा है और क्या है ये आईएलपी , जिसके आश्वासन के बाद मणिपुर में तो आंदोलन स्थगित कर दिया गया है । इसमें सबसे पहले बात करते हैं नागरिकता संशोधन विधेयक...

बता दें कि यह विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश , अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू , सिख , बौद्ध , जैन , पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का मौका देता है। लोकसभा में यह विधेयक पास हो गया है अब बुधवार को यह बिल राज्यसभा में लाया जाएगा , जिसपर 6 घंटे बहस होगी।

चलिए अब आपको बताते हैं इनर लाइन परमिट यानी आईएलपी । असल में यह ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू की गई व्यवस्था है , जिसमें आजादी के बाद भी कई बार फेरबदल किया गया है । बिट्रिश समय ने इसके तहत नियमों को व्यापारिक हितों की रक्षा के मद्देनजर बनाया था । इसके अंतर्गत दो मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दिया जाता है । असल में इनर लाइन परमिट ईस्टर्न फ्रंटियर विनियम 1873 के अंतर्गत जारी किया जाने वाला एक ट्रैवल डॉक्यूमेंट है , जो कुछ राज्यों में जाने से पहले आपको बनवाना होता है । इसमें एक पर्यटन के तौर पर तो दूसरा नौकरी और काम धंधे के लिए अन्य राज्यों के नागरिकों के लिए बनने वाला परमिट है ।

ऐसे में नगालैंड ,मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में नागरिकता संशोधन विधेयक लागू नहीं होगा , क्योंकि वहां आईएलपी व्यवस्था है । इसके साथ ही असम , मेघालय और त्रिपुरा , जो संविधान की छठी अनुसूची के तहत शासित होने वाले प्रदेश हैं, ये भी इस विधेयक के दायरे से बाहर रहेंगे ।  


अगर आईएलपी राज्यों में आप घूमने जाना चाहते हैं तो आपको इन राज्यों के बॉर्डर और इन दिनों ऑनलाइन व्यवस्था से आईएलपी लेनी होगी , जिसके तहत आप इन राज्यों में 15 दिन रह सकते हैं ।

 

 

 

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