नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का बिल दोनों सदनों में पास करवा लिया। विपक्षी दलों ने न चाहते हुए भी चुनावी मौसम को देखते हुए इस बिल को पास करवाने में सरकार की मदद की लेकिन इसके मानकों को लेकर कई सवाल भी उठाए। विपक्ष के द्वारा लगातार सवाल उठाए जाने के बाद समाज कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने सफाई देते हुए कहा कि यह अंतिम नहीं है और नियमों में बदलाव हो सकता है।
गौरतलब है कि आर्थिक तौर पर पिछड़ा की श्रेणी में आने वालों की सालाना आयसीमा 8 लाख और 5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक के अलावा अन्य मापदंड रखे गए हैं। दोनों ही सदनों में बिल पास होने के बाद अब मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि आरक्षण के मापदंड विचाराधीन हैं और इसमें बदलाव हो सकते हैं।
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यहां बता दें कि ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि मंत्रालय एक हफ्ते के अंदर नियम बनाएगी। वहीं सरकार ने सभी राज्यों से अपने मापदंडों को तैयार करने के लिए कहा है। गौर करने वाली बात है कि यह आरक्षण शिक्षा और नौकरी पर लागू होगा जो राज्य के दायरे में आता है। समाज कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि ‘‘हम आने वाले समय में देखेंगे कि कैसे राज्य इन नियमों को बनाते हैं। इनपर भी विचार किया जाएगा।’’ मंत्री ने कहा वार्षिक घरेलू आय और भूमि का संदर्भ क्रीमी लेयर के लिए मौजूदा मापदंडों से लिया गया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक में भूमि और आय सीमा को लेकर कोई संदर्भ नहीं है।