नई दिल्ली । भारत में आकर जम्मू समेत देश के विभिन्न कौन में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर मोदी सरकार सख्त रुख अपनाने जा रही है। सूत्रों के अनुसार मिली खबरों के अनुसार पिछले पांच-सात सालों के दौरान भारत में अवैध रूप से रह रहे इन लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा। इसके बाद इन लोगों को वापस म्यामांर भेजा जाएगा। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, कानून के तहत इन लोगों पर कार्रवाई का पूरा खाका खिंच चुका है। जल्द ही इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। फॉरनर्स ऐक्ट के तहत इन लोगों की पहचान कर इन्हें इनके देश वापस भेजा जाएगा।
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म्यामांर में हिंसा के बाद आए भारत
बता दें कि पिछले कुछ सालों में म्यामांर में हुई हिंसा के चलते करीब 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों ने भारत की ओर अपना रुख किया और उसके बाद वापस अपने देश नहीं गए। अब इन लोगों के खिलाफ सरकार ने कड़ी कार्रवाई की रणनीति बना ली है। बौद्ध बहुल देश म्यामांर में जारी हिंसा के चलते इन लोगों ने समुद्र, बांग्लादेश और म्यामांर सीमा से लगे चिन इलाके के जरिए भारत में घुसपैठ की थी, जो अभी भी बदस्तूर जारी है। इतना ही नहीं पड़ोसी देश बांग्लादेश में तो इस समय करीब तीन लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं।
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सबसे ज्यादा जम्मू में
सरकार को मिली जानकारी के अनुसार इस समय रोहिंग्या शरणार्थी सबसे ज्यादा संख्या में जम्मू में रह रहे हैं। वहीं करीबन 10 हजार के करी लोग अवैध रूप से रह रहे हैं। केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि की अध्यक्षता में सोमवार को एक अहम बैठक हुई, जिसमें इन लोगों को लेकर गहन चर्चा हुई। इस दौरान चर्चा हुई कि आखिर भारत में अवैध रूप से बसे रोहिंग्या मुस्लिमों की पहचान, गिरफ्तारी और उन्हें देश से बाहर भेजने के लिए क्या रणनीति बनाई जाए। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव, डीजीपी समेत कई अन्य वरिष्ठ अफसरों ने भी शिरकत की।
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राह में सामने आएंगे कई रोड़े
बता दे कि भारत सरकार ने भले ही इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की रणनीति बना ली हो लेकिन सरकार की राह में भी कई रोड़े नजर आ रहे हैं। पहला कि म्यामांर सरकार इन लोगों को अपना देशवासी मानता ही नहीं है। उनका कहना है कि ये लोग बंगाली है। इतना ही नहीं इन लोगों को वह अपने यहां की आधिकारिक मान्यता भी नहीं देता है। इससे इतर यूएन का मानवाधिकार संगठन इन लोगों को शरणार्थी कहता है लेकिन भारत का कहना है कि वह इन लोगों को शरणार्थी मानने को तैयार नहीं है। वह इन लोग को घुसपैठिए के रूप में देखती है। ऐसे में भारत सरकार इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार रखती है।
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