नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरे कार्यकाल में देश के किसानों की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया है । मोदी सरकार ने कृषि, ग्रामीण विकास, जल संरक्षण और इसका समुचित इस्तेमाल करने को अपनी सरकार के अहम मुद्दों में शुमार किया हुआ है । ऐसे में चुनावों के दौरान अपने वायदों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। पीएम मोदी ने नीति आयोग की नियंत्रण परिषद की बैठक में किये गये विचार-विमर्श के बाद, “भारतीय कृषि के सुधार” के लिए मुख्यमंत्रियों की एक उच्चाधिकार समिति गठित की है। इस समिति का संयोजक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बनाया गया है । इतना ही नहीं इस समिति के सदस्यों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी, हरियाणा से मनोहर लाल खट्टर, अरूणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू, गुजरात के सीएम विजय रूपाणी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के सीएम कमल नाथ के साथ ही केन्द्रीय कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, नीति आयोग से रमेश चंद को बतौर सदस्य बनाया गया है ।
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पीएम मोदी ने अपनी एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान ही किसानों की दशा सुधारने के लिए कई योजनाएं बनाई थीं , लेकिन पिछली सरकार के शुरुआत सालों में कुछ खास लाभ किसानों ने दिखा नहीं । सरकार का कार्यकाल खत्म होने के दौरान पीएम मोदी ने कुछ नई योजनाएं का ऐलान जरूर किया , जिन्हें अब अमलीजामा पहनाने की योजना के तहत उन्होंने भारतीय कृषि में सुधार नाम से एक अभियान चलाने की योजना बनाई है । इसके लिए उन्होंने एक समित का गठन भी कर दिया है । यह समिति अपनी अधिसूचना की तिथि से दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी।
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इस समिति के निम्नलिखित कार्य होंगे -
1. कृषि में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करना तथा राज्यों/ केंद्रित शासित प्रदेशों द्वारा निम्नलिखित सुधारों को अपनाने तथा समय-बद्ध कार्यान्यवन के तरीके के बारे में सुझाव देना ।
- भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा गया “राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश कृषि उत्पाद एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017” (एपीएलएम अधिनियम, 2017)।
- भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा गया “राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश कृषि उत्पाद एवं पशुधन, ठेका खेती एवं सेवाएं (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2018”।
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2- अनिवार्य वस्तु अधिनियम (ईसीए), 1955 के विभिन्न प्रावधानों का परिक्षण करना और उन स्थितियों का पता लगाना जब अनिवार्य वस्तु अधिनियम की आवश्यकता हो। कृषि विपणन एवं बुनयादी ढांचे में निजी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से अनिवार्य वस्तु अधिनियम में बदलाव के लिये सुझाव देना।
3- ई-नाम, ग्राम और अन्य संबंधित केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के साथ बाजार सुधारों को जोड़ने के लिये उपाय सुझाना।
4- कृषि निर्यात बढ़ाने, खाद्य प्रसंकरण के विकास में तेजी लाने और आधुनिक विपणन सुविधा के लिये निवेश आकर्षित करने, मूल्य श्रृंखलाओं तथा साजोसामान के बारे में नीतिगत उपाय सुझाना।
5- वैश्विक मानदंडों के अनुसार कृषि प्रौद्योगिकी विकसित करने और किसानों को उन्नत बीज, पौधे के लिये पोषण सामग्री तथा कृषि के क्षेत्र में विकसित देशों के अनुसार खेती की मशीनें उपलब्ध कराने के उपायों के बारे में सुझाव देना।
6- कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किसी अन्य सुधारों के बारे में बताना।