नई दिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है । इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। इस सब के बाद अब जम्मू कश्मीर जहां अब कोई राज्य न होकर केंद्र शासित प्रदेश होगा , वहीं लद्दाख को भी बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा कि लद्दाख की जनता लंबे समय से खुद को जम्मू कश्मीर से अलग किए जाने की मांग कर रही थी । वहां के लोगों की मांग थी कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें । इस सब के साथ ही जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है । हालांकि जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी ।
राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कस्मीर की जनता आज मुश्किल में है । ज हम जो बिल लेकर आए हैं वो ऐतिहासिक है । धारा 370 ने कश्मीर को देश से जोड़ा नहीं बल्कि अलग करने का काम किया ।
इस सब के बीच मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की है। इस दौरान उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है । साथ ही हिंसा को रोकने के लिए पुलिस से मॉक ड्रिल चलाने का निर्देश भी जारी किया गया है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। अर्धसैनिक बलों की करीब एक हजार कंपनियां घाटी में तैनात हैं। यानी राज्य में अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर में आतंकी हमले का इनपुट मिलने के बाद 100 अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को भेजा गया था । दो दिन पहले 80 और कंपनियों को घाटी में भेजा गया है। इसके अलावा अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए लगाए गए 320 अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियों को भी घाटी की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है।
विदित हो कि घाटी में करीब 450 अर्धसैनिक बलों की कंपनियों की नियमित तैनाती रहती है। अर्धसैनिक बलों की ये तैनाती सेना और प्रदेश पुलिस की तैनाती से अलग है। यानी घाटी में अर्धसैनिक बलों की करीब एक हजार कंपनियां तैनात है। हर कंपनी में 100 जवान होते हैं।