नई दिल्ली । जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जहां पाकिस्तान पीएम दबी जुबान में युद्ध की बातें करते नजर आ रहे हैं, वहीं उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उन्हें साथ न देने का बयान दे चुके हैं। इस सब के बीच जब भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्तान को सख्त लहजे में LOC पर किसी भी तरह की कार्रवाई का करारा जवाब देने की चेतावनी दी है , तो पाकिस्तानी राष्ट्रपति की गिदड़भभकी की भी आई है । 14 अगस्त को अपनी आजादी का जश्न मना रहे पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने बुधवार को राष्ट्र को संबोधन में कहा कि हम जंग नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर भारत युद्ध करता है तो उनके पास जेहाद और मुकाबला करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा ।
अपनी आजादी का जश्न मना रहे पाकिस्तान को संबोधित करते हुए वहां के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भड़काने वाला बयान दिया है । अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा है और उनका हरदम साथ देने को तैयार है । हम लोग कश्मीरियों की मदद करना नहीं रोकेंगे । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मसले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) तक जाएगा । उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने जम्मू-कश्मीर पर इस तरह का फैसला लेकर संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन किया है । इतना ही नहीं उन्होंने भारत पर शिमला समझौता तोड़ने का भी आरोप लगाया ।
विदित हो कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान के हुकमरान बौखला गए हैं। जहां पाकिस्तानी संसद में इस मुद्दे पर वहां की सरकार को विपक्ष ने जमकर घेरा है , वहीं सदन में प्रधानमंत्री इमरान खान भारत से युद्ध करने तक की बात कह बैठे । इतना ही नहीं उनके कई मंत्री तक भारत को गिदड़भभकी देते नजर आए । इस सब के बीच भारत सरकार और भारतीय थलसेना प्रमुख ने पाकिस्तान को सख्त और साफ लहजे में कह दिया है कि अगर उनकी ओर से LOC पर किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी की गई , भारतीय सेना सख्त जवाब देगी ।
हालांकि पाकिस्तान इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय जगत में अपने लिए समर्थन जुटाने में लगा है लेकिन उसे चारों ओर से निराशा ही हाथ लगी है । पाकिस्तान के दोस्त चीन समेत रूस , अमेरिका इसे भारत का अंतरूनी मामला करार दे चुके हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी ने साफ कर दिया है कि भारत के बड़े बाजार को देखते हुए मुस्लिम देशों के संगठन से भी मदद की कोई उम्मीद नहीं दिख रही ।