Friday, April 19, 2024

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PM modi Live - परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं , जो स्मार्टफोन आपका समय खा रहा है , उसमें से कुछ दादा-दादी के लिए निकालें

दीपक गौड़
PM modi Live - परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं , जो स्मार्टफोन आपका समय खा रहा है , उसमें से कुछ दादा-दादी के लिए निकालें

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'परीक्षा पे चर्चा'  कार्यक्रम में छात्रों से मुलाकात करते हुए उनके सवालों का जवाब दिया । इस दौरान पीएम मोदी ने साफ किया कि हम लोग अब उस दिशा में चल पड़े हैं जहां नंबर को ही महत्वपूर्ण माना जाता है । अब बच्चों के दिमाग में रहता है कि पहले नंबर ले आऊं, फिर बाद में सोचेंगे. लेकिन आज दुनिया बहुत बदल चुकी है। सिर्फ परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं है ये सिर्फ एक पड़ाव है । नंबर ही सबकुछ नहीं हैं, बच्चों के लिए ‘ये नहीं तो कुछ नहीं’ का माहौल ना बनाएं । किसान की स्कूली शिक्षा कम होती है लेकिन वो भी नई बातें सीखता है. परीक्षा का महत्व है, लेकिन सिर्फ परीक्षा ही जिंदगी नहीं है । इस दौरान पीएम मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आग के बच्चे ये बात जान लें कि आज की तकनीक आपके लिए सहायक का काम करती है, आप उसके गुलाम न हो जाएं । उन्होंने कहा कि आप अपने दिन भर के उस समय से, जिसे आप स्मार्टफोन पर क्रियाकलाप में व्यतीत करते हैं, उसमें से महज 10 मिनट अपने दादा-दादी माता-पिता के साथ भी बातचीत में गुजारे । 

घर के एक ऐसा कमरा हो जहां तकनीक की नो एंट्री

इस दौरान पीएम मोदी ने एक सवार के जवाब में कहा - इस पीढ़ी में जीवन टेक्नोलॉजी ड्रिवन हो गया है, इसका भय नहीं आने देना चाहिए । टेक्नोलॉजी को अपना दोस्त मानें, प्रोएक्टिव होना जरूरी है । मेरे लिए क्या उपयोगी है, ये जानना जरूरी है. स्मार्ट फोन आपका समय चोरी करता है लेकिन उसमें से कुछ समय करके अपने माता-पिता के साथ बैठिए । टेक्नोलॉजी को अपने कब्जे में रखना जरूरी है.रेलवे स्टेशन पर पूछताछ की विंडो होती है, लेकिन वहां पर बोर्ड भी लगा होता है. लेकिन लोग बोर्ड कम देखते हैं और पूछते ज्यादा हैं । लोग मैसेज करते हैं और फिर फोनकर करके पूछते हैं कि मेरा मैसेज मिला । नई पीढ़ी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सही करती है । अपनी मातृभाषा की डिक्शनरी को फोन में रखें और रोजाना कुछ वर्ड सीखें । आज के वक्त में सोशल नेटवर्किंग सिर्फ अपने फोन में आ गई है, पहले दोस्त को जन्मदिन विश करते हैं लेकिन अब रात को ही मैसेज किया जाता है । टेक्नोलॉजी का गुलाम नहीं बनना चाहिए.आज के वक्त में सोशल नेटवर्किंग सिर्फ अपने फोन में आ गई है, पहले दोस्त को जन्मदिन विश करते हैं लेकिन अब रात को ही मैसेज किया जाता है । हमें तय करना होगा कि रोजाना कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी फ्री रहूंगा । कुछ समय अपनों के साथ बिताना जरूरी हैं । घर में एक कमरा ऐसा होना चाहिए जिसमें टेक्नोलॉजी को नो एंट्री होगी, उस कमरे में जो भी आएगा बिना टेक्नोलॉजी आएगा ।


चंद्रायान का दिया उदाहरण

इस दौरान पीएम मोदी ने छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए कहा - मुझे लगा कि छात्रों का मूड ऑफ नहीं होना चाहिए, लेकिन ऐसा क्यों होता है, अधिकतर ऐसा बाहर की परिस्थितियों की वजह से होता है । जब हम पढ़ते हैं तो मम्मी को कहते हैं कि 6 बजे चाय पीनी है, लेकिन अगर टाइम पर चाय नहीं आती है तो मूड खराब हो जाता है । लेकिन अगर इसे दूसरे तरीके से सोचे तो ये भी मन में आना चाहिए कि मां को कुछ हुआ तो नहीं , क्योंकि आपने अपेक्षा को अपने साथ जोड़ लिया है इसलिए ऐसा होता है । हर व्यक्ति को मोटिवेशन या डिमोटिवेशन से गुजरना पड़ता है । जब चंद्रयान जा रहा था तो हर कोई जाग रहा था, जब असफल हुआ तो पूरा देश डिमोटिवेट हो गया था । जब मैं चंद्रयान लॉन्च पर था तो लोगों ने मुझे कहा था कि वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि पास होना पक्का नहीं है । तो मैंने कहा कि इसलिए मुझे जाना चाहिए । चंद्रयान के जब आखिरी मिनट थे, तो वैज्ञानिकों के चेहरे पर तनाव दिख रहा है । जब चंद्रयान फेल हुआ तो मैं चैन से बैठ नहीं पाया, सोने का मन नहीं कर रहा था । हमारी टीम कमरे में चली गई थी, लेकिन बाद में मैंने सभी को बुलाया । मैंने टीम को बताया कि हम वापस बाद में जाएंगे और सभी वैज्ञानिकों को सुबह बुलाया गया । अगली सुबह सभी वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया, उनके सपनों की बातें की । उसके बाद पूरे देश का माहौल बदल गया, ये पूरे देश ने देखा है । हम विफलता में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं । अगर आप किसी चीज में असफल हुए हैं तो इसका मतलब है कि आप सफलता की ओर बढ़ चुके हैं ।

राहुल द्रविण-लक्ष्मण ने कमाल किया

पीएम मोदी ने इस दौरान एक बच्चे के सवाल का जवाब कुछ अलग तरह से दिया । उन्होंने कहा - वर्ष 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच हो रहा था, फॉलोऑन हो गया । विकेट भी जाने लगे तो माहौल बिगड़ गया था, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने पिच पर कमाल किया और पूरे खेल को खींचा । पूरी परिस्थिति पलट दी और मैच को जीत लिया गया । एक-एक बॉल के लिए जूझा. 2002 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज खेलने गई थी तो अनिल कुंबले को चोट लगी और उन्होंने पट्टी बांधी फिर खेले। तब उसके बाद कुंबले ने पूरा माहौल पलट दिया ।

पढ़ाई से बड़े दरवाजे खुलेंगे

इस दौरान पीएम मोदी से एक छात्र ने पूछा- जो छात्र पढ़ाई में अच्छे नहीं है लेकिन खेल-संगीत में अच्छे होते हैं तो उनका भविष्य क्या होगा । पढ़ाई के बीच किस तरह एक्टिविटी के बीच बैलेंस बनाया जाए । इस पर पीएम मोदी बोले -  शिक्षा के जरिए बहुत बड़े रास्ते का दरवाजा खोलती है, सा रे गा मा से सिर्फ संगीत की दुनिया में एंट्री मिलती है, लेकिन उससे संगीत पूरा नहीं होता है । जो हम सीख रहे हैं उसे जिंदगी की कसौटी पर कसना जरूरी । स्कूल में पढ़ाया जाता है कि कम बोलने से फायदा होता है तो हमें जिंदगी में भी उसे उतारना चाहिए, अगर आप रोबोट की तरह काम करते रहेंगे, तो सिर्फ रोबोट ही बनकर रह जाएंगे,  इसलिए पढ़ाई से अलग भी एक्टविटी करनी चाहिए, हालांकि टाइम मैनेजमैंट जरूरी है।  

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