नई दिल्ली । राजस्थान में 5 साल पूरी ताकत लगाकर कांग्रेस को सत्ता का सुख दिखाने वाले सचिन पायलट आज अपने अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा देख रहे हैं । गहलोत सरकार ने न केवल उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया है बल्कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया है । इतना ही नहीं राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उन्हें नोटिस जारी किया गया है । इस बीच सचिन पायलट का दर्द छलका है । राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के अगले दिन पायलट ने कहा कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से अशोक गहलोत और उनके करीबी मुझे निशाना बनाने लगे थे और ऐसे में उनके लिए स्वाभिमान की रक्षा करना मुश्किल हो गया था ।
असल में पार्टी में अपने लिए सम्मान की मांग करते हुए सचिन पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । गहलोत सरकार के 20 कांग्रेसी विधायकों का समर्थन हासिल किए बैठे सचिन पायलट का कहना है कि उन्हें पार्टी और सरकार के फैसले में शामिल ही नहीं किया जाता था ।
सचिन पायलट से जब पूछा गया कि क्या राहुल गांधी से इन दिनों उनकी बात हुई, इसके जवाब में राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, 'राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं । उनके जाने के बाद गहलोत और AICC में उनके दोस्त मेरे खिलाफ इकट्ठा हो गए । इसके बाद से ही मेरे लिए मेरे स्वाभिमान की रक्षा करना भी मुश्किल हो गया ।
पायलट ने कहा कि 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मेरी कोई बातचीत नहीं हुई । प्रियंका गांधी ने मुझसे फोन पर बात की । यह एक व्यक्तिगत बातचीत थी , यह बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची । '
भाजपा में शामिल होने के सवाल पर पायलट ने कहा कि गांधी परिवार की नजरों में मुझे गिराने के लिए राजस्थान के कुछ नेता इन अफवाहों को हवा दे रहे हैं कि मैं भाजपा में शामिल होने जा रहा हूं, जबकि यह सच नहीं है ।' दोनों प्रमुख पदों से हटाए जाने के बाद पायलट ने पहली बार सार्वजनिक रूप से इतनी विस्तृत टिप्पणी की है । माना जा रहा है कि वह जल्द ही अपने अगले कदम के बारे में कोई निर्णय करेंगे ।