नई दिल्ली। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि मुसलमानों के हिस्से की जमीन को वह राम मंदिर को सौंपना चाहता है। शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने कराया था जो कि शिया मुसलमान था। ऐसे में सुन्नी पक्षकारों का इस पर कोई हक नहीं बनता है। बोर्ड ने कहा कि इलाहबाद हाई कोर्ट द्वारा मुसलमानों की दी गई एक तिहाई जमीन को राम मंदिर बनाने के लिए दान किया जाएगा। हम इस मामले को शांति के साथ सुलझाना चाहते हैं। वहीं सुन्नी पक्ष की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन ने आगे कहा, जैसे तालिबान ने बामियान को नष्ट कर दिया था। ठीक उसी तरह हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया.।
गौरतलब कि इस मामले पहले हुई सुनवाई में उत्तरप्रदेश सरकार ने मुस्लिम पक्षकार इस मामले को टालने की कोशिश कर रही है। उत्तरप्रदेश सरकार ने कहा कि सालों से लंबित इस मामले में मुस्लिम पक्षकार 1994 में दिए गए उस फैसले पर टिपण्णी करने की गुहार लगा रहे हैं जिसमें यह कहा गया है कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।
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यहां बता दें कि यूपी सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सालों से लंबित इस मामले में अभी भी फैसले का इंतजार किया जा रहा है। उन्हांेंने कहा कि कोर्ट ने इस मामले पर 1994 में टिपण्णी की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में न तब कोई याचिका दायर की गई थी और न ही अब दायर की गई है। एडिशनल साॅलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में कागजी कार्रवाई तो अभी कुछ दिनों पहले पूरी हुई है और सुनवाई शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि अब कहा जा रहा है कि पहले इस टिप्पणी पर पुनर्विचार करने की दरकार है और इस मसले को बड़ी पीठ के पास विचार करने के लिए भेजा जाना चाहिए।