नई दिल्ली। दहेज प्रताड़ना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट की 3 सदस्यीय बेंच ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी का अधिकार पुलिस के पास ही होना चाहिए। कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत के निपटारे के लिए वेलफेयर कमेटी बनाने से भी इंकार कर दिया है। यहां बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्यों के डीजीपी को दहेज प्रताड़ना के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएं।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 2 सदस्यीय बेंच ने दहेज प्रताड़ना के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश दिया था और समस्या के समाधान के लिए सिविल सोसाइटी की एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ अदालत में चुनौती दी गई थी। यहां बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने 2 सदस्यीय बेंच के आदेश को संशोधित करते हुए दहेज प्रताड़ना के मामले में गिरफ्तारी का अधिकार पुलिस को दे दिया है और सिविल सोसाइटी की कमेटी बनाने के आदेश को हटा दिया है।
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यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इस तरह आपराधिक मामले की जांच के लिए सिविल कमेटी नियुक्त नहीं कर सकता, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि दहेज प्रताड़ना के खिलाफ दोनों पक्षों में संतुलन होने बेहद जरूरी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में पति के पक्ष से अगर अग्रिम जमानत की अर्जी दी जाती है तो उसकी सुनवाई उसी दिन हो सकती है। बड़ी बात यह है कि अदालत में दायर चुनौती याचिका में कहा गया था कि कोर्ट को कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। कानून बनाने का मकसद महिलाओं को न्याय दिलाना है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इहेज प्रताड़ना के खिलाफ गिरफ्तारी बंद हो गई थी।