नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में जारी श्रीराम जन्मभूमि मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रही । अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी दलीलों के क्रम में 39वें दिन एक बार फिर से हिंदू पक्षकारों ने अपनी दलीलें सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षकार के वकील के. परासरण ने लगातार कई सवाल पूछे । इसपर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुस्कुराते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से पूछा कि क्या हिंदू पक्ष से सही सवाल पूछ रहे हैं? क्या आप इन सवालों से संतुष्ट हैं मिस्टर धवन? इसी के साथ ही कोर्ट में ठहाके गूंजे और के. परासरण बोले कि मुझे सवालों से कोई ऐतराज़ नहीं हैं, मैं सभी सवालों के जवाब दूंगा । इस दौरान कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए परासरण ने कहा- मैं नहीं मानता मस्जिद हमेशा मस्जिद रहती है, लेकिन मेरी दलील है कि मंदिर हमेशा मंदिर रहता है । फिर चाहे वहां पर भवन, मूर्ति हो या नहीं ।
भारत के इतिहास से शुरू हुई दलीलें
हिंदू पक्षकार के वकील के. परासरण ने अपनी दलील की शुरुआत भारत के इतिहास के साथ की । सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब वकील वी.पी. शर्मा ने लिखित दलील के साथ कुरान के अंग्रेज़ी अनुवाद की कॉपी रजिस्ट्री को सौंपी ।
मुस्लिम पक्ष को हक सिद्ध करने की जरूरत
वहीं के. परासरण ने कहा कि मुस्लिमों को साबित करना होगा कि जमीन पर उनका हक है । इसपर जस्टिस नज़ीर ने पूछा कि बिना एडवर्स पजेशन को साबित किए मालिकाना हक को साबित कर सकते हैं? इसपर के. परासरण ने कहा कि क्योंकि ड्युअल ऑनरशिप का प्रावधान भारतीय कानून में है , लिहाजा एडवर्स पजेशन में भी किसी की जमीन पर कोई जबरन इमारत बना ले, तो भी जमीन का मालिकाना हक ज़मीन वाले का ही रहता है । उन्होंने कहा कि अभी हमें नहीं बल्कि मुस्लिम पक्ष को मालिकाना हक सिद्ध करने की ज़रूरत है क्योंकि हमारा दावा तो स्वयंसिद्ध है ।
...तो फैसला किस पर देंगे
इसी क्रम में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान पूछा कि अगर सूट प्रॉपर्टी नष्ट हो गई है, तो फैसला किस पर दिया जाएगा? इसपर के. परासरण ने कहा कि मैं नहीं मानता मस्जिद हमेशा मस्जिद रहती है, लेकिन मेरी दलील है कि मंदिर हमेशा मंदिर रहता है । फिर चाहे वहां पर भवन, मूर्ति हो या नहीं ।
इतिहास तबाह करने की अनुमति नहीं देंगे
उन्होंने अपनी दलील में कहा कि किसी को भी भारत के इतिहास को तबाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है । सुप्रीम कोर्ट को इतिहास की गलती को ठीक करना चाहिए । एक विदेशी भारत में आकर अपने कानून लागू नहीं कर सकता है । इसी क्रम में हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम कहीं और भी जाकर नमाज़ पढ़ सकते हैं, अयोध्या में 56-60 मस्जिद हैं । लेकिन ये भगवान राम का जन्मस्थान है, हम ये नहीं बदल सकते हैं ।
17 अक्तूबर के बाद किसी की दलील नहीं
विदित हो कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पहले ही साफ कर दिया है कि इस मामले में सभी पक्षों को अपनी दलीलें 17 अक्तूबर तक पेश करनी हैं , कोर्ट इसके बाद किसी को भी समय नहीं देगा । इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से सोमवार कहा था कि वह अपनी दलीलें शेड्यूल के तहत ही खत्म कर लें। आगामी तीन दिन हिंदू पक्षकारों को अपनी दलीलें रखने के लिए दिए जाएंगे और इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुरक्षित कर फैसले की तारीख तय करेगी ।
बुधवार बहस का अंतिम दिन
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बहस बुधवार को पूरी होगी, जबकि 17 अक्टूबर का दिन मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए रखा गया है । इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से मांग या दावा किया जाता है जो फैसले में नहीं मिलता है, यानी एक तरह से विकल्प अदालत को बताया जाता है ।
राजीव धवन बोले थे -सिर्फ मुस्लिम पक्ष से पूछे जा रहे सवाल?’
सोमवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने अदालत में कहा कि उन्हें लगता है कि अदालत सिर्फ उनसे ही सवाल पूछ रही है, हिंदू पक्ष की ओर कोई सवाल नहीं उठ रहा है। हालांकि, अदालत ने उनके इस सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। साथ ही मुस्लिम पक्ष ने कहा कि श्रद्धा-स्कन्द पुराण के आधार पर जमीन पर कब्जा नहीं मिलता है, ऐसे में अयोध्या की ज़मीन को मुस्लिम पक्ष को ही सौंपा जाए। इस सब के बाद आज चीफ जस्टिस ने हिंदू पक्षकार के अधिवक्ता से सवाल पूछे तो साथ साथ राजीव धवन को लेकर टिप्पणी की ...क्या में हिंदू पक्षकार से सही सवाल पूछ रहा हूं?